इमामबारगाह
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हुज्जतुल-इस्लाम मुहम्मदी:
तब्लीग-ए-दीन केवल मस्जिदों और इमामबारगाहों तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए
हौज़ा / उर्मिया के इस्लामिक प्रचार एजेंसी के प्रमुख ने कहा: धर्म का प्रचार मस्जिदों और इमाम बारगाहों तक सीमित नहीं होना चाहिए और धार्मिक उपदेशकों को लोगों के बीच जाना चाहिए और उपदेश का कर्तव्य निभाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर हम कई वाणिज्यिक केंद्रों की ओर इशारा कर सकते हैं जहां हर दिन हजारों लोग आते हैं। इनमें कई धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे भी हैं जिन्हें उचित मार्गदर्शन के अभाव में छोड़ दिया गया है।
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तब्लीग-ए-दीन केवल मस्जिदों और इमामबारगाहों तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए
हौज़ा / इस्लामिक प्रचार एजेंसी के प्रमुख ने कहा: धर्म का प्रचार केवल मस्जिदों और इमाम बरगाहों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए और धर्म प्रचारकों को लोगों के अंदर जाकर उपदेश देने का कर्तव्य निभाना चाहिए। एक उदाहरण के रूप में हम कई व्यावसायिक केंद्रों की ओर इशारा कर सकते हैं जहाँ प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं। इनमें कई धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे ऐसे हैं जिन्हें उचित मार्गदर्शन के अभाव में छोड़ दिया गया है।
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मिम्बर की जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाना चाहिए
हौज़ा / बैठक में मिम्बर पर अल्लाह की महिमा, कुरान की महानता और मुहम्मद और मुहम्मद के परिवार (स.अ.व.) का वर्णन करने की कार्रवाई को कारे रिसालत करार दिया, और विद्वानों और प्रचारकों से आग्रह किया हर समय अपने दायित्वों के प्रति जागरूक रहें।
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हज़रत इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में हज़रत फतेमा ज़हेरा (स.अ.) की शहादत की मजलिस-
हौज़ा/तेहरान में इमामबारगाह इमाम ख़ुमैनी में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा (स.अ.) की शहादत की शब की मजलिस बुधवार की रात हुई जिसमें इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शिरकत की।
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भारत में कोरोना की बिगड़ती स्थिति, कोरोना रोगियों के लिए सभी इमामबारगाहों को खोलने का निर्णय
हौज़ा / भारत में कोरोना की बिगड़ती स्थिति, शियाने अली (अ.स.) का एक बड़ा निर्णय भारत के सभी इमामबाड़ों को कोरोना रोगियों के लिए खोला जाएगा, जबकि ट्रस्ट में आने वाले धन का उपयोग कोरोना के रोगियों की देखभाल के लिए किया जाएगा।
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तन्ज़ीमुल मकातिब के सचिवः
हुसैनी मिम्बर अहलेबैत (अ.स.) के संदेशो के प्रसारण से मख्सूस है, मौलाना सैय्यद सैफी हैदर जै़दी
हौज़ा / इमामबारगाह मासूमीन (अ.स.) के आदेशों को पूरा करने की एक जगह है। यहां लोग सीरत-ए-अहलेबैत (अ.स.) से आशाना हो। इमामबारगाह का उद्देश्य अहलेबैत (अ.स.) की शिक्षाओं को जिंदा करना है। इसी प्रकार मिम्बर का मकसद भी इन्हीं संदेशों को बयान करना है। यदि मिम्बर से इन से हटकर बाते हो लोगो की नीजि बाते सम्मिलित हो जाए तो यह देखने मे तो मिम्बर होगा लेकिन इमाम सज्जाद (अ.स.) की दृष्ठि से यह लकड़ी का ढेर होगा।