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अहले सुन्नत की किताबों से हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) के घर में आग लगाने वाले कौन थे?
हौज़ा / मशहूर इतिहासकार ज़हबी ने अपनी किताब लिसानुल मीज़ान की पहली जिल्द पेज न. 268 में अहमद नाम के विषय पर लिखते हुए एक रिवायत पूरी सनद के साथ ज़िक्र करने के बाद कहते हैं कि मोहम्मद इब्ने अहमद हम्माद कूफ़ी जिनका शुमार अहले सुन्नत के बड़े मोहद्दिस में होता है बयान करते हैं कि बिना किसी शक के, उमर ने अपने पैरों से फ़ातिमा स.अ.की शान में ऐसी गुस्ताख़ी की थी कि मोहसिन शहीद हो गए।
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अज़ा-ए-फ़ातेमिया: जनाब-ए-फ़ातिमा ज़हरा की मज़लूमियत की याद
हौज़ा/ जनाब-ए-फ़ातमा ज़हरा (स.) ने अपनी वसीयत में इमाम अली (अ.) से फ़रमाया कि मुझे रात में दफ़न करना ताकि ज़ालिमों को मेरी तद्फीन में हिस्सा न मिले। आपकी क़ब्र आज भी दुनिया से छुपी हुई है, जो आपकी मज़लूमियत का सबूत है।
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हज़रत ज़ैनब (स.अ.) का व्यक्तित्व और उनका इंक़लाबी पैग़ाम
हौज़ा / हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की ज़िंदगी में वो तमाम आला इंसानी सिफ़ात नुमायां थीं जिनमें सब्र, शुजाअत, फ़साहत और बलाग़त शामिल हैं। आपने बचपन ही से अपने नाना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम, अपने वालिद अली अलैहिस्सलाम, और अपनी मां फातेमा सलामुल्लाह अलैहा की सोहबत में तर्बियत पाई और इल्म ओ हिकमत का वो नूर हासिल किया जिसकी चमक कर्बला में दुश्मनों के लश्कर को लरज़ा देती थी।
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मुफ़स्सिरे कुरआन हज़रत ज़ैनब बिन्ते अली
हौज़ा / हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं
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हज़रत ज़ैनब (स) की विलादत पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा/हज़रत ज़ैनब स.ल. एक रिवायत के अनुसार 5 जमादिउल अव्वल सन 6 हिजरी को मदीने में पैदा हुईं, आप के वालिद हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम और मां हज़रत फ़ातिमा ज़हेरा स.अ थीं, आप केवल पांच साल की थीं जब आपकी मां शहीद हुई, आप ने अपनी ज़िदगी में बहुतसारी मुसीबतों का सामना किया, मां बाप की शहादत से लेकर भाइयों और बच्चों की शहादत तक आप ने देखी और इस्लाम की राह में क़ैद की कठिन सख़्तियों को भी बर्दाश्त किया, आप के जीवन की यही सख़्तियां थीं जिन्होंने आपके सब्र, धैर्य और धीरज को पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना दिया।
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हिज़्बुल्लाह का दृढ़ संकल्प; युद्ध के मैदान मे निर्णय
हौज़ा / हिज़्बुल्लाह लेबनान हमेशा से प्रतिरोध की अभिव्यक्ति रहा है। हिजबुल्लाह के नेता और कार्यकर्ता न सिर्फ दुश्मन के सामने सीसे की दीवार की तरह खड़े हैं, बल्कि हर युद्ध क्षेत्र में अपनी अनोखी रणनीति से दुश्मन को हैरान और परेशान कर रहे हैं। हाल के दिनों में लेबनानी संसद में हिज़्बुल्लाह के "वफादारी के लिए प्रतिरोध" समूह के प्रमुख मोहम्मद राद ने एक महत्वपूर्ण और निर्णायक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने अमेरिकी दूत की लेबनान यात्रा पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
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क़र्ज़ लेने की ज़रूरत और इसके प्रभाव
हौज़ा / अगर हम बार-बार क़र्ज़ लेते हैं, तो यह न सिर्फ हमारी माली स्थिति को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक तनाव और चिंता का कारण भी बनता है। जब क़र्ज़ का बोझ बढ़ता है, तो इसकी अदाईगी का डर हमें रात की नींद से भी महरूम कर सकता है
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क्रांति से लेकर आज तक के महान बलिदानियों पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट;
ईरान ने एक और नायाब गौहर दफन कर दिया
हौज़ा / इस प्रकार, इस्लामी गणतंत्र ईरान में क्रांति प्रतिरोध का परिणाम थी, लेकिन क्रांति, उपनिवेशवादी और अहंकारी ताकतों को शुरू से ही कांटे की तरह चुभती रही और ईरानी राष्ट्र ने स्वतंत्र होने और अपने बीच होने के अपराध के लिए महान बलिदान दिए इन्हीं बलिदानों में से एक बलिदान शहीद निलफ्रोशन का भी है।
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बीबी मासूमा (स) इल्म, तक़वा और ममता की रोशनी
हौज़ा / इमाम मूसा काज़िम (अ.स.) और उनके भाई इमाम अली रज़ा (अ.स.) ने उन्हें इस्लामी तालीमात और इल्म की ऊँचाइयों से सरफ़राज़ किया।
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हज़रत फ़ातेमा मासूमा स.अ. की शहादत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.अ.का जन्म सन 173 हिजरी इस्लामी कैलेंडर के ग्यारहवे महीने ज़ीक़ादा की पहली तारीख में मदीना शहर में हुई, आपका पालन पोषण ऐसे परिवार में हुआ जिसका प्रत्येक व्यक्ति अख़लाक़ और चरित्र के हिसाब से अद्वितीय था, आप का घराना इबादत और बंदगी, तक़वा और पाकीज़गी, सच्चाई और विनम्रता, लोगों की मदद करने और सख़्त हालात में अपने को मज़बूत बनाए रखने और भी बहुत सारी नैतिक अच्छाइयों में मशहूर था।
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ज़ायोनी शासन को मरजियत से ख़तरा है
हौज़ा / ज़ायोनी सरकार अयातुल्ला सैय्यद अली सिस्तानी और सर्वोच्च नेता सैय्यद अली खामेनेई के संभावित जिहाद फतवे से बहुत डरी हुई है, यही कारण है कि वह उन्हें जान से मारने की धमकी दे रही है। इज़राइल के चैनल 14 ने उन्हें संभावित लक्ष्य के रूप में उद्धृत किया, जिससे पूरे इस्लामी जगत में आक्रोश फैल गया।
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ज़ालिमों के खिलाफ आवाज़: आयतुल्लाह सय्यद अली सिस्तानी का मार्गदर्शन
हौज़ा / आयतुल्लाह सय्यद अली सिस्तानी की शख्सियत न केवल मुसलमानों के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणा है। उनकी शिक्षाएं ज़ुल्म के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देती हैं। जब दुनिया देख रही है कि ज़ालिमों ने किस तरह से निर्दोषों का खून बहाया है, तब हमें चाहिए कि हम एकजुट होकर ज़ालिमों को कड़ा संदेश दें: हम खामोश नहीं बैठेंगे।
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आतंकवादी कौन हैं?
हौज़ा / आतंकवाद की पहचान करना मुश्किल है, लेकिन सही मायने में आतंकवादी वे लोग हैं जो अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं, लोगों के जीवन से खेलते हैं, और समाज में डर और अशांति फैलाते हैं। यह जरूरी है कि हम इस बात को समझें और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हों, ताकि हम एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज की दिशा में बढ़ सकें।
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हर फिरौन के लिए एक मूसा का होना अवश्यक है
हौज़ा / हर ज़ालिम से लड़ने के लिए वक़्त का एक मूसा होता है, उसी तरह हर यज़ीद को रुसवा करने के लिए हर ज़माने में हुसैन का वास्ता रखने वाले भी होते हैं।
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नफरती गोदी मीडिया कैंसर है कैंसर!
हौज़ा / नफ़रत बाज और झूठा गोदी मीडिया देश की एकता,मानवता और समाज की बर्बादी का तेज़ी से बढ़ने वाला खतरनाक कैंसर है कैंसर जो बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा है।
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इसराइल-लेबनान संघर्ष: हिज़बुल्लाह का प्रतिरोध और नागरिक अधिकारों की रक्षा
हौज़ा / ज़मीन की रक्षा करना हर देश और समुदाय का नैतिक और वैधानिक अधिकार है। लेबनानियों के लिए, अपनी मातृभूमि को विदेशी ताकतों से बचाना आवश्यक था, और हिज़बुल्लाह ने इसी भावना के साथ अपने आंदोलन की शुरुआत की। इस संघर्ष के दौरान, हिज़बुल्लाह का मुख्य उद्देश्य अपनी ज़मीन की रक्षा और इसराइल के कब्जे का विरोध था। अपनी ज़मीन को वापस लेने की लड़ाई में किसी समुदाय का प्रतिरोध करना गलत नहीं हो सकता, क्योंकि यह उनकी ज़मीन और जीवन की रक्षा का सवाल है।
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सय्यद हसन नसरुल्लाह: नेतृत्व, प्रतिरोध और शहादत
हौज़ा / सैयद हसन नसरुल्ला, लेबनान के एक महान नेता और प्रतिरोध की पार्टी हिज़्बुल्लाह के प्रमुख थे, जिनकी जिंदगी और नेतृत्व ने न केवल लेबनान बल्कि समस्त इस्लामिक दुनिया में उम्मीद की किरण जगाई है। उनकी शख्सियत में तक़वा, ज्ञान और बेजोड़ बहादुरी का संगम है, जिसके कारण उन्होंने सहयूनी आक्रामकता के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोध की अगुवाई की।
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छात्रों पर आर्टिफ़िशियल इंटेलिटेंस के 7 सकारात्मक और 7 नकारात्मक प्रभाव
हौज़ा \ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धिमत्ता के फायदे और नुकसान दोनों हैं। जैसे-जैसे यह सेक्टर सुविधाएं दे रहा है, वैसे-वैसे खतरा भी बनता जा रहा है। आम लोगों से लेकर इसे बनाने वाले वैज्ञानिकों तक हर कोई इससे प्रभावित है, जानिए छात्रों के जीवन पर पड़ने वाले इसके 7 सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों के बारे में:
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इस्लामी शिक्षाएँ और वर्तमान समय में शांति का प्रसार
हौज़ा / वर्तमान समय में, जब दुनिया विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक विवादों का सामना कर रही है, इस्लामी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि हमें अपनी ज़िंदगी में शांति का प्रचार करना चाहिए। हमें के दूसरों के विश्वासों का सम्मान करना चाहिए, नफरत और धर्मांधता से दूर रहना चाहिए, और प्रेम और भाईचारे के माध्यम से दुनिया को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
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हज़रत अली अलैहिस्सलाम का हिकमत भारा जवाब
हौज़ा / हज़रत अमीरुल मोमिनीन अली अ.स. ने एक अरब व्यक्ति के सवाल के जवाब में शराब को हराम होने का हिकमत भरा जवाब दिया।
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हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की शहादत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / इमाम हज़रत इमाम हसन असकरी अ.स. 232 हिजरी में मदीना शहर में पैदा हुए चूंकि आप भी अपने वालिद इमाम अली नक़ी अ.स. की तरह सामर्रा के असकर नामी इलाक़े में मुक़ीम थे इसलिए आप असकरी के नाम से मशहूर हुए, आपकी कुन्नियत अबू मोहम्मद और मशहूर लक़ब नक़ी और ज़की है, आपने 6 साल इमामत की ज़िम्मेदारी संभाली और 28 साल की उम्र में मोतमद अब्बासी के हाथों शहीद हो गए।
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हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के बहुत अलक़ाब हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध रज़ा है जिसका अर्थ है राज़ी व प्रसन्न रहने वाला इस उपाधि का बहुत बड़ा कारण यह है कि इमाम अलैहिस्सलाम ख़ुदा की हर इच्छा पर प्रसन्न रहते थे और इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम के साथी एवं अनुयाई भी आप से प्रसन्न रहते थे और इमाम के दुश्मन उनकी अप्रसन्नता का कोई कारण नहीं ढूंढ पाते थे।
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हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम तथा आपकी माता हज़रत फ़ातिमा ज़हरा थीं। आप अपने माता पिता की प्रथम संतान थे।
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इमाम हसन अ.स. के दान देने और क्षमा करने का वाक़्या
हौज़ा / एक दिन हज़रत इमाम हसन अ.स. घोड़े पर सवार हो कर कही जा रहे थे कि शाम अर्थात मौजूदा सीरिया का रहने वाला एक इंसान रास्ते में मिला। उस आदमी ने इमाम हसन को बुरा भला कहा और गाली देना शुरू कर दिया हज़रत इमाम हसन अ.स चुपचाप उसकी बातें सुनते रहे, जब वह अपना ग़ुस्सा उतार चुका तो हज़रत इमाम हसन अ.स. ने उसे मुस्कुरा कर सलाम किया और अपने अख्लाक के जरिए से उसके इबहाम को दूर किए।
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हज़रत सरवरे काएनात मुहम्मदे मुस्तफ़ा स.ल.व.व. की रहरत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / हज़रत पैग़म्बर ए अकरम स.ल.व.व. की ज़िंदगी के अख़लाक़ी पहलू और आप की सीरत के अनेक पहलू के बारे में बहुत कुछ लिखा और पढ़ा जा चुका है, लेकिन आपकी ज़िंदगी का वह पहलू जिसके बारे में बहुत कम किताबों या आर्टिकल्स में मिलता है वह आप की ज़िंदगी के आख़िरी समय के हालात हैं और शायद उस समय के हालात पर कम ध्यान देने के कारण उस समय की बहुत सारी हक़ीक़तों में फेर बदल किया गया और उसके बाद इतिहास के उन हालात का सामना होता है जो पैग़म्बर ए अकरम स.ल.व.व. की वफ़ात के बाद पेश आए, इस लेख में उन्हीं कुछ अहम हक़ीक़तों की तरफ़ इशारा किया गया है।
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अरबईन पर एक सवाल! मुसलमानो क्या यही अजरे रिसालत और पैरवीए अहलेबैत है?
हौज़ा / मुसलमानो से अल्लाह ने कुरान में अजरे रिसालत यानी अल्लाह ने जो कुछ अपने रसूल के जरिए मुसलमानो को नेमतें दी जन्नत का रास्ता दिखाया और इस काम केलिए जिंतनी तकलीफों को बर्दाश्त किया उसकी उजरत अल्लाह ने अपने बंदों से रसूल अल्लाह के क़राबत दारों की मोअददत मांगी। इतना ही नहीं अपनी उम्मत को कयामत तक गुमराह से बचाने और जन्नत तक आसानी से पहुंच जाने के लिए कुरान और कुरान के एक्सपर्ट और कुरान पर 100% अमल करने वाले रोल मॉडल जिनसे मोहब्बत का नाम अजरे रिसालत है उनके दामन से वाबस्ता होने और अपने उन कराबत दरों के पीछे पीछे चलने और उनसे मोहब्बत करने का हुक्म दिया था।
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मालिक इब्ने अब्दुल्लाह अलजाबरी कि कर्बला में आपकी कुर्बानी
हौज़ा / नामी मालिक इब्ने अब्दुल्लाह इब्ने सरीअ इब्ने जाबिर हमदानी अलजाबरी था, कबीला-ऐ-हमदान से बनी जाबिर भी एक कबीला है जनाबे मालिक इब्ने अब्दुल्लाह इसी कबीला-ऐ-जाबिर से ताल्लुक रखते थे। आप निहायत बहादुर और इन्तेहाई मुंसिफ मिज़ाज थे आले मोहम्मद की मोहब्बत आपके दिल में भरी हुई थी और अहलेबैत रसूल की खिदमत को आप अपना फ़रीज़ा जानते थे।
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दरस-ए-अख़लाक़ः
नमाज़ अल्लाह का ज़िक्र और रहस्यों का कभी ख़त्म न होने वाला ख़ज़ाना है
हौज़ा / अल्लाह के साथ इंसान के संबंध के लिए नमाज़ से ज़्यादा मज़बूत व स्थायी कोई साधन नहीं है।
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भारतीय आज़ादारों द्वारा कर्बला इराक में अरबाईन मातमी और जुलूस अज़ा की तैयारिया पूरी
हौज़ा /कर्बला इराक,भारतीय अज़ादार दिन बा दिन बड़ी तादात में कर्बला पहुंच कर इमाम हुसैन के रोज़े पर सलामी दे रहे है इसी क्रम में हर साल की तरह इस साल भी "अज़ा इल हुसैन अल हिंद" भारतीय आजादरो की तंज़ीम ने अरबाईन मातमी जुलूस का एहतेमाम किया है।
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शोहदा ए कर्बला में अबुसमामा अम्र बिन अब्दुल्लाह सैदावी की महान कुर्बानी
हौज़ा / आप का पूरा नाम अम्र इब्ने अब्दुल्लाह इब्ने कैब इब्ने शरजील इब्ने उमर इब्ने हाशिद इब्ने जशम इब्ने हैरदन इब्ने औफ बिन हमदान साअएदी अल-सैदावी था और कुन्नियत अबू समामा था।