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कुद्स दिवस: प्रथम क़िबला की पुनर्प्राप्ति का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
हौज़ा/कुद्स दिवस हमें यह एहसास दिलाता है कि सही और गलत के बीच की इस लड़ाई में हम कहां खड़े हैं। यह दिन हमें फिलिस्तीन के उद्धार के लिए अपने विचार, कलम, कार्य और प्रार्थनाएं समर्पित करने का आह्वान करता है।
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बैतुल मुक़द्दस की बाज़याबी: कुरानी मार्गदर्शन और व्यावहारिक संघर्ष
हौज़ा/इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ने हमेशा फिलिस्तीनी प्रतिरोध और बैतुल मुक़द्दस की बाज़याबी को अपनी विदेश नीति का मुख्य स्तंभ बनाया है। ईरान न केवल फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का समर्थन करता है, बल्कि इजरायल और अमेरिकी आक्रमण के खिलाफ भी लगातार सक्रिय है।
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कुद्स दिवस और मुस्लिम युवाओं की जागृति
हौज़ा/ रमज़ान का मुबारक महीना चल रहा है, मुसलमान अल्लाह के सामने सजदा कर रहे हैं और इसे कुरान से परिचित होने के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उत्पीड़ितों के लिए आवाज उठाना और उत्पीड़कों से दूरी बनाए रखना पवित्र कुरान का एक मौलिक और शाश्वत सिद्धांत है। यही कारण है कि जैसे-जैसे रमजान नजदीक आता है, यरुशलम पर अवैध ज़ायोनी कब्जे के खिलाफ 'कुद्स दिवस' की गूंज सुनाई देने लगती है।
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रमज़ान उल मुबारक के सत्ताइसवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह (स) ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
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पवित्र कुरान की रोशनी में अहंकारियों का भाग्य
हौज़ा / कुरान के अनुसार अहंकार अल्लाह के प्रति विद्रोह और दूसरों के प्रति तिरस्कार का रवैया है, जो सदैव विनाश की ओर ले जाता है।
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रमज़ान उल मुबारक के पच्चीसवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
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फिलिस्तीनी मुद्दा और इस्लामी दुनिया
हौज़ा /इस्लामी दुनिया को फिलिस्तीनी मुद्दे की संवेदनशीलता और महत्व को समझना चाहिए। यदि इस्लामी दुनिया कुद्स मुद्दे पर एकजुट नहीं होती है, तो उनके पास एकता का इससे बेहतर कोई केंद्र नहीं होगा।
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रमज़ान उल मुबारक के चौबीसवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
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मोमिनीन में से एक समूह की अल्लाह की तरफ से मख़सूस हिदायत
हौज़ा / हिदायत की एक चौथी क़िस्म भी है जिसका नाम हमने मोमिनों के एक गिरोह से मख़सूस हिदायत रखा है यह सारे मोमिनों के लिए भी नहीं है बल्कि उनमें से ख़ास लोगों से मख़सूस है।
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रमज़ान उल मुबारक के तेईसवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह (स)ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
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पवित्र क़ुरआन एक शाश्वत चमत्कार
हौज़ा / मौलाना सय्यद ग़ाफिर रिज़वी फ़लक छौलसी ने कहा: जिस तरह पैगंबर मुहम्मद (स) अल्लाह तआला की कृपा से अंतिम नबी और नबीत्व की मुहर के रूप में आए, उसी तरह पैगंबर (स) पर उतरी किताब, यानी पवित्र कुरान, आसमानी किताबों में से अंतिम किताब भी है, जिसका मतलब है कि अब सर्वशक्तिमान ईश्वर के कानून पूरे हो गए हैं और पवित्र कुरान के बाद कोई किताब नहीं आएगी, यानी इस किताब के कानून कयामत के दिन तक स्वीकार्य हैं, किसी अन्य किताब का कोई कानून लागू नहीं होगा।
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शेर ए खुदा: बहादुरी, हिकमत और शहादत की इच्छा
हौज़ा/शेर ए खुदा, हैदर करार हज़रत अली (अ) की बहादुरी ऐसी थी कि बड़े-बड़े योद्धा भी उनके सामने असहाय लगते थे। खैबर के विजेता की तलवार ने झूठ के गलियारे हिला दिए, लेकिन इस विजेता ने हमेशा शहादत को अपना अंतिम लक्ष्य माना। अपनी खिलाफत के दौरान उन्होंने शासन के शानदार सिद्धांत स्थापित किए, जो आज भी न्याय और निष्पक्षता के उदाहरण के रूप में मौजूद हैं।
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रमज़ान उल मुबारक के इक्कीसवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह (स) ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
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मौलाना सय्यद रज़ी हैदर फंदेड़वी:
हज़रत अली अ.स. की स्वस्थ जीवनशैली
हौज़ा / हज़रत अली अ.स. का जीवन संतुलित आहार, व्यायाम और आध्यात्मिक व शारीरिक उपचार के सिद्धांतों का एक आदर्श नमूना था। आपने न केवल स्वास्थ्य और चिकित्सा से संबंधित ज्ञानवर्धक वचन कहे, बल्कि स्वयं भी एक अनुकरणीय जीवनशैली अपनाई आपके कथन और जीवनशैली आधुनिक चिकित्सा के सिद्धांतों से मेल खाते हैं।
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अली की तनहाई और नहजुल बलाग़ा
हौज़ा/अली (अ) अभी भी अकेले हैं, नहजुल बलाग़ा अभी भी अजनबी हैं। दुनिया न तो अली (अ) को कल समझती थी, न आज समझती है। शायद क़यामत के दिन तक अली (अ) और उनके शब्द सिर्फ़ कुछ अच्छे दिल वाले लोगों के लिए ही रहेंगे, जबकि बाकी दुनिया अपनी राह पर भटकती रहेगी।
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रमज़ान उल मुबारक के बीसवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह (स) ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
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काबे के रब की क़सम मैं कामियाब हो गयाः इमाम अली (अ)
हौज़ा/ हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने यह जुमला(फ़ुज़्तु बे रब्बील काबा ,काबे के रब की क़सम मैं कामियाब हो गया)तब फ़रमाया जब नमाज़ में हालते सजदे में आप को अब्दुल रहमान इब्ने मुलजिम मलऊन ने ज़र्बत लगाई
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आज इंसाफ का सूरज डूब गया
हौज़ा / 19 रमज़ान की सुबह वह है जिसमें हज़रत अली अलैहिस्सलाम के सिर पर तलवार का वार किया गया और 21 रमज़ान को हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहीद हो गई एक आवाज उठी आज इंसाफ का सूरत डूब गया
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आधुनिक युग में बच्चों की धार्मिक शिक्षा / माता-पिता को बच्चों के साथ धार्मिक मुद्दों पर चर्चा का माहौल बनाना चाहिए
हौज़ा /विश्वविद्यालय के शिक्षक ने कहा: माता-पिता और बच्चों के बीच वैचारिक मतभेद परिवार के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकते हैं, लेकिन अगर समझदारी से निपटा जाए, तो इन मतभेदों को विभिन्न मुद्दों पर सीखने और सुधार करने के अवसरों में भी बदला जा सकता है।
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रमज़ान उल मुबारक के उन्नीसवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह (स) ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
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शबे क़द्र की तीन ही रातें क्यों हैं?
हौज़ा / तेईसवीं की रात को अल्लाह तआला जो भी चाहता है वह पूरा होता है। यह शबे क़द्र है जिसके बारे में अल्लाह तआला ने फ़रमाया: (यह रात हज़ार महीनों से बेहतर है)।
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शबे क़द्र के मुशतरक आमाल
हौज़ा / रमज़ान उल मुबारक की उन्नीसवीं, इक्कीसवीं और तेइसवीं शबे क़द्र के मुश्तरक आमाल
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रमज़ान उल मुबारक के महीने मे अनावश्यक कार्यों से कैसे दूर रहें?
हौज़ा / यह मुबारक महीना मेहमान की तरह आता है और अगर हम इसका सही तरीके से स्वागत करें तो यह हमारे जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव ला सकता है। रमजान के वास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महिलाओं के लिए अनावश्यक गतिविधियों, अनियोजित गतिविधियों और समय बर्बाद करने वाली चीजों से बचना महत्वपूर्ण है।
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रमज़ान उल मुबारक के अठ्ठारहवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह (स) ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।
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हरम-ए हज़रत मासूमा स.अ. में शब-ए-क़द्र की तफ़सील का एलान
हौज़ा / हरम-ए हज़रत मासूमा स.अ.में शब-ए-क़द्र की रातों के विशेष समारोह आयोजित किया जाएंगा जिनमें दुआ-ए जौशन-ए कबीर की क़िराअत विभिन्न उलेमा-ए किराम के ख़ुतबात और आमाल शामिल है यह कार्यक्रम शबिस्तान-ए इमाम ख़ुमैनी रह. में रात 11 बजे से 2 बजे तक आयोजित किया जाएंगा।
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बद्र की लड़ाई और उसके कारण
हौज़ा / जंगे बदर 17वीं रमज़ान से 21वीं रमजान तक दूसरी हिजरी मे कुफ़्फ़ारे कुरैश और मुसलमानों के बीच हुई । बद्र मूल रूप से जुहैना जनजाति के एक व्यक्ति का नाम था जिसने मक्का और मदीना के बीच एक कुआँ खोदा था और बाद में इस क्षेत्र और कुएँ दोनों को बद्र कहा जाने लगा, इसलिए युद्ध का नाम भी बद्र के नाम से जाना जाने लगा।
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अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का निर्माण किसने किया?
हौज़ा / अब अचानक आपको पता चला कि 150 से अधिक देश संयुक्त राष्ट्र में ईरान पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं! या फिर वे कहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंतित है! लेकिन कोई भी यह नहीं बताता कि यह "वैश्विक समुदाय" वास्तव में क्या है। और इसका गठन कैसे हुआ?
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रमज़ान उल मुबारक के सत्रहवें दिन की दुआ
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह (स) ने यह दुआ बयान फ़रमाई हैं।