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  • वर्ल्ड फिलॉसफी डे

    वर्ल्ड फिलॉसफी डे

    हौज़ा/ वर्ल्ड फिलॉसफी डे, जिसे यूनेस्को हर साल नवंबर के तीसरे गुरुवार को मनाता है, इस बात की याद दिलाता है कि फिलॉसफी सिर्फ़ एक सूखा और एब्सट्रैक्ट एकेडमिक डिसिप्लिन नहीं है, बल्कि “समझदारी से जीने” की कला और इंसान और यूनिवर्स को गहराई से समझने का एक असरदार तरीका है। यह दिन क्रिटिकल थिंकिंग, कंस्ट्रक्टिव डायलॉग और इंसान की किस्मत बनाने वाले बुनियादी मुद्दों पर फिर से सोचने का न्योता है।

  • ख़ाना ए वही पर हमला और क़ौसर ए कुरआन के अपमान के कारण

    ख़ाना ए वही पर हमला और क़ौसर ए कुरआन के अपमान के कारण

    हौज़ा/आयम-ए-फ़ातिमिया के दौरान, हम हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) की मिलिटेंट, पॉलिटिकल और सोशल भूमिका और उनके बेमिसाल और लंबे समय तक चलने वाले असर की जांच करने की कोशिश करते हैं, और भरोसेमंद ऐतिहासिक सोर्स से फैक्ट्स लेकर इस्लाम के प्रेसिडेंट के समय की घटनाओं का एक पूरा एनालिसिस पेश करते हैं।

  • मौलाना डॉ. सय्यद कल्बे सादिक; अहदे बेदारी का रौशन मीनार

    मरहूम डॉ. सय्यद कल्बे सादिक की पांचवीं बरसी;

    मौलाना डॉ. सय्यद कल्बे सादिक; अहदे बेदारी का रौशन मीनार

    हौज़ा/ मौलाना डॉ. सैयद कल्बे सादिक नक़वी कोई एक इंसान नहीं, बल्कि एक पूरा दौर थे; अहदे बेदारी, ज्ञान का दौर, किरदार का दौर और प्यार का दौर, वे एक सुधारक, एक टीचर, एक उपदेशक, एक कानून के जानकार और समाज के लिए एक बेमिसाल लीडर भी थे।

  • महिलाओं के लिए खुत्बा ए फ़दकिया की शिक्षाएँ!

    महिलाओं के लिए खुत्बा ए फ़दकिया की शिक्षाएँ!

    हौज़ा/ हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) का फ़दक वाला खुत्बा न सिर्फ़ राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर रोशनी डालता है, बल्कि इसमें महिलाओं के लिए आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक शिक्षाएँ भी शामिल हैं।

  • 2 जमादि उस सानी 1447 - 23 नवम्बर 2025

    2 जमादि उस सानी 1447 - 23 नवम्बर 2025

    हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 2 जमादि उस सानी 1447 - 23 नवम्बर 2025

  • हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) को “सय्यदतुल निसाइल आलमीन” क्यों कहा जाता है? हौज़ा इल्मिया के एक रिसर्चर के साथ इंटरव्यू

    हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) को “सय्यदतुल निसाइल आलमीन” क्यों कहा जाता है? हौज़ा इल्मिया के एक रिसर्चर के साथ इंटरव्यू

    हौज़ा/आयम-ए-फ़ातिमिया के मौके पर बोलते हुए, हुज्जतुल इस्लाम अली मुहम्मद मुज़फ़्फ़री ने कहा कि हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) असलियत, नबूवत और इमामत के बीच एक रोशन कड़ी हैं, इसलिए उनके ज्ञान और जीवन को ज़िंदा रखना उम्मा की बौद्धिक और आध्यात्मिक ज़िंदगी के लिए ज़रूरी है।

  • माहे जमादिउस्सानी की मुनासेबतें

    माहे जमादिउस्सानी की मुनासेबतें

    हौज़ा / माहे जमादिउस्सानी की बहुत सारी मुनासिबतें है जो आपकी खिदमत में पेश की जा रही है

  • कुरआन मे महदीवाद (अंतिम भाग)

    आदर्श समाज की ओर (इमाम महदी अलैहिस्सलाम से संबंधित श्रृंखला) भाग - 53

    कुरआन मे महदीवाद (अंतिम भाग)

    हौज़ा / कुरआन की आयतों के कभी-कभी कई मतलब होते हैं। एक मतलब तो ज़ाहिरी और आम लोगों के समझने लायक होता है, और दूसरा अंदरूनी और गहरा मतलब होता है, जिसे आयत का “बतन” कहा जाता है। इस छिपे हुए मतलब को सिर्फ़ पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहि वसल्लम, इमाम अलैहिस्सलाम और वही लोग जानते हैं जिन्हें अल्लाह खुद चाह ले।

  • हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा की इबादत

    हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा की इबादत

    हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा रात के एक पूरे चरण मे इबादत मे गुज़ारती थी वह खड़े होकर इतनी नमाज़ें पढ़ती थीं कि उनके पैरों पर सूजन आ जाती थी।

  • फ़दक; हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) की जागीर

    फ़दक; हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) की जागीर

    हौज़ा / हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सला मुल्ला अलैहा और फ़दक के बारे बहुत से प्रश्न किए हैं जैसे कि फ़दक की हक़ीक़त क्या है? और क्या फ़दक के बारे में सुन्नियों की किताबों में बयान किया गया है या नहीं।हम अपनी इस श्रखलावार बहस में कोशिश करेंगे कि सुन्नियों की महत्वपूर्ण एतिहासिक किताबों में फ़दक के बारे में विभिन्न पहलुओं को बयान करें और उस पर चर्चा करें।

  • हज़रत रसूल अल्लाह (स) हर ऐतेबार से सम्मान और आदर्श है

    क़ुरआन की रौशनी में:

    हज़रत रसूल अल्लाह (स) हर ऐतेबार से सम्मान और आदर्श है

    हौज़ा / अल्लाह ने फ़रमाया है,बेशक तुम्हारे लिए पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम का वजूद पैरवी के लिए बेहतरीन नमूना मौजूद है।

  • सच और झूठ;  पैगम्बर की क़ौम का फ़ितने के डर से पतन

    सच और झूठ; पैगम्बर की क़ौम का फ़ितने के डर से पतन

    हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा (सला मुल्ला अलैहा) ने कहा: "अभी पैगंबर का शरीर दफनाया भी नहीं गया था कि आप लोग 'फितने के डर' के बहाने काम शुरू कर दिए, जबकि आप खुद फितने में फंस गए और जल्दीबाजी में समुदाय में फूट डाल दी।"

  • आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI): आज का सेवक, कल का शासक!?

    आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI): आज का सेवक, कल का शासक!?

    हौज़ा / आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) की आशाजनक क्षमता के बावजूद, विशेषज्ञ हमें इसकी सीमाओं को पहचानने और इसके अति प्रयोग से बचने का आग्रह करते हैं।

  • ये 10 रुकावटें आपकी दुआओं को कुबूल होने से रोकती हैं

    ये 10 रुकावटें आपकी दुआओं को कुबूल होने से रोकती हैं

    हौज़ा / आयतुल्लाह मुज्तहिद तेहरानी के अनुसार, इस हदीस में दस ऐसे गुणों और रुकावटों का वर्णन है जो इंसान के दिल को कठोर बना देते हैं और दुआओं के कुबूल होने में रुकावट डालते हैं।

  • जन्नत वालो का सबसे बड़ा गम क्या होगा?

    जन्नत वालो का सबसे बड़ा गम क्या होगा?

    हौज़ा / जन्नत वालों को बस इस बात का अफ़सोस होगा कि उन्होंने दुनिया में कुछ वक़्त के लिए ख़ुदा की याद से बेपरवाही बरती। क्योंकि अल्लाह ही तमाम फ़ायदों और सच्ची दोस्ती का ज़रिया है और वही इंसान को सच्ची ख़ुशी देता है। दुनिया में जो अनमोल पल ख़ुदा की याद के बिना गुज़रे, जन्नत में बस उन्हीं का अफ़सोस बाकी रहेगा। और अल्लाह इतना मेहरबान है कि अगर कोई बंदा उसकी तरफ़ एक कदम बढ़ाता है, तो वो अपनी रहमत से दस कदम आगे बढ़ाकर जवाब देता है।

  • पारिवारिक प्रशिक्षण | युवाओं को विवाह के लिए तैयार करने में माता-पिता की प्रभावी भूमिका

    पारिवारिक प्रशिक्षण | युवाओं को विवाह के लिए तैयार करने में माता-पिता की प्रभावी भूमिका

    हौज़ा / अगर आप अपने बेटे की शादी करना चाहते हैं तो सबसे पहले उससे खुलकर और प्यार से बात करें: क्या वह आर्थिक रूप से तैयार है? क्या उसके पास जीवन जीने के मूल कौशल हैं? क्या वह नैतिक और व्यवहारिक रूप से भी तैयार है? इसके बाद उसे समझाएं कि जीवन साथी का चुनाव भावनाओं से नहीं बल्कि सोच समझकर और मानकों को देखकर करना चाहिए। उसकी मार्गदर्शना और मदद करें, लेकिन कड़वाहट से "नहीं" कहकर दिल तोड़ने के बजाय बातचीत और समर्थन से उसे सही और समझदार रास्ते पर आगे बढ़ने में मदद दें।

  • इंटरव्यूः मुश्किलों और अन्याय के सामने भी ईमान और अख़लाक़ नहीं छोड़ना चाहिए

    इंटरव्यूः मुश्किलों और अन्याय के सामने भी ईमान और अख़लाक़ नहीं छोड़ना चाहिए

    हौज़ा / क़ुम अल मुक़द्देसा मे रहने वाले भारतीय शिया धर्मगुरू, कुरआन और हदीस के रिसर्चर मौलाना सय्यद साजिद रज़वी से हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार ने अय्याम ए फ़ातिमा के हवाले से विशेष चर्चा की। 

  • मुश्केलात मे इमाम ज़माना (अ) से मदद और राब्ता कैसे हासिल करे?

    मुश्केलात मे इमाम ज़माना (अ) से मदद और राब्ता कैसे हासिल करे?

    हौज़ा / मुशकेलात को क़बूल करना, ख़ास दुआओं और ज़ियारतों का एहतमाम करना, नमाज़-ए-इस्तेग़ासा और इमाम-ए-ज़माना (अ) की मारफ़त में इज़ाफ़ा ये सब बातें दिल को सुकून देती हैं और दुनिया की सख्तियों को बर्दाश्त करना आसान बना देती हैं, क्योंकि इमाम (अ) की मौजूदगी और इनायत इंसान के लिए मुश्किलों से गुज़रने का रास्ता हमवार करती है और रूहानी आराम पैदा करती है।

  • हज़रत फ़ातिमा, इमाम महीद (अ) की नज़र मे उस्वा हस्ना

    हज़रत फ़ातिमा, इमाम महीद (अ) की नज़र मे उस्वा हस्ना

    हौज़ा / अय्याम ए फ़ातिमिया के मौक़े पर हमारा मक़सद यह है कि हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) की मुबारिज़ाती, सियासी और समाजी सीरत और उनके बेमिसाल और पायेदार किरदार का जायज़ा लेते हुए, मुअतबर तारीख़ी मनाबे की रौशनी में हक़ायिक को उजागर किया जाए, ताकि शुरुआती इस्लामी तारीख़ के वाक़िआत का एक जामे और अ़मीक तज़्ज़िया पेश किया जा सके।

  • फ़दक के सच्चे गवाहों को झुठलाया गया

    फ़दक के सच्चे गवाहों को झुठलाया गया

    हौज़ा / हज़रत फ़ातेमा ज़हरा का फ़दक छीना गया और आपने उसे वापस मांगा तो उस समय की सरकार यानी जाली पहले ख़लीफ़ा ने आपसे गवाह मांगे कि साबित करो यह फ़िदक तुम्हारा है, आपने गवाह के तौर पर इमाम अली, उम्मे एमन और पैग़म्बर के दास रेबाह को प्रस्तुत किया, लेकिन इन लोगों की गवाही कबूल नहीं की और सच्चे गवाहों को झुठला दिया गया

  • सीरत ए हज़रत ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा विवाहित जीवन का आदर्श उदाहरण

    सीरत ए हज़रत ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा विवाहित जीवन का आदर्श उदाहरण

    हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सलामुल्लाहे अलैहा)  एक मिसाली पत्नी के तौर पर तमाम मुसलमान ख़्वातीन के लिए एक कामिल नमूना हैं, जिनकी घरेलू ज़िंदगी मोहब्बत, ईसार और वफ़ादारी से भरी थी।

  • अल्लाह के दर पर जाना चाहिए ताकि दूसरों के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े

    दरस-ए-अख़लाक़ः

    अल्लाह के दर पर जाना चाहिए ताकि दूसरों के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े

    हौज़ा / इंसान बहुत सारी चीजों का ज़रूरतमंद है, इन ज़रूरतों से छुटकारा पाने और इन ज़रूरतों की पूर्ति के लिए किससे कहें? अल्लाह से क्योंकि वह हमारी ज़रूरतों को जानता है, अल्लाह जानता है कि आप क्या चाहते हैं, क्या ज़रूरी है; और कौन सी चीज़ आप उससे मांग रहे हैं और सवाल कर रहे हैं तो अपने अल्लाह से मांगिए।

  • तबलीग़ मे नरमी, ईमानदारी और ज्ञान उपदेश के मुख्य स्तंभ हैं: मौलाना सैयद रिज़वान हैदर रिज़वी

    तबलीग़ मे नरमी, ईमानदारी और ज्ञान उपदेश के मुख्य स्तंभ हैं: मौलाना सैयद रिज़वान हैदर रिज़वी

    हौज़ा / हिंदुस्तान के मुमताज़ आलिम-ए-दीन और जामियतुल-बतूल हैदराबाद-दक्कन के निदेशक हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन डॉक्टर सय्यद रिज़वान हैदर रिज़वी ने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के साथ ख़ुसूसीगुफ़्तगू में कहा कि तबलीग़ सिर्फ़ गुफ़्तार का नाम नहीं, बल्कि किरदार, ख़ुलूस और इल्म का हसीन इम्तिज़ाज है। उनका कहना था कि एक मुबल्लिग़ को ज़माने के तक़ाज़ों के साथ आगे बढ़ना चाहिए, मगर अपने पैग़ाम की अस्ल रूह को हमेशा महफ़ूज़ रखना चाहिए।

  • शरई अहकाम । क्या पति अपनी पत्नी की अनुमति के बिना उसका पैसा खर्च कर सकता है?

    शरई अहकाम । क्या पति अपनी पत्नी की अनुमति के बिना उसका पैसा खर्च कर सकता है?

    हौज़ा / हर शख़्स अपने माल का मालिक होता है, और मालिक की इजाज़त के बग़ैर किसी को उससे फ़ायदा उठाने का हक़ नहीं। पति भी पत्नि की इजाज़त के बग़ैर उसके पैसे घरेलू अखराजात में इस्तेमाल नहीं कर सकता, मगर उस सूरत में कर सकता है जब उसे यक़ीन हो कि पत्नि इस पर राज़ी है। बसूरत-ए-दिगर, यह अमल शरअन ग़स्ब शुमार होगा।

  • इंटरव्यूः हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) इस्मत, सब्र और ईमान की बेनज़ीर मिसाल

    इंटरव्यू:

    इंटरव्यूः हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) इस्मत, सब्र और ईमान की बेनज़ीर मिसाल

    हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा पैग़म्ब ए इस्लाम स.अ.व. की बेटी और अहलेबैत अ.स.की महान सदस्य हैं आप अ.स. का पवित्र जीवन क़ुरआन और सुन्नत की जीती जागती व्याख्या है। आप (अ.स.) की पवित्रता का ज़िक्र आयत ए तत्हीर में है और आप (अ.स.) की महानता की तस्दीक़ ख़ुद रसूलुल्लाह (स.अ.व.) ने इन शब्दों में की,फ़ातिमा मेरे जिस्म का हिस्सा हैं, जिसने उन्हें दुख पहुँचाया, उसने मुझे दुख पहुँचाया।इबादत, इल्म, सब्र और हक़ की हिफ़ाज़त में हज़रत ज़हरा अ.स. दुनिया की तमाम औरतों के लिए बेनज़ीर मिसाल हैं।

  • नसीहत से वस्वास का उपचार सम्भव नही

    नसीहत से वस्वास का उपचार सम्भव नही

    हौज़ा / नौजवानों में वस्वास आम तौर पर बेचैनी और बेकारी की वजह से पैदा होता है। बार-बार समझाना या नसीहत करना इस मसले को बढ़ाता है, इलाज नहीं करता। बातों के बजाय बेहतर है कि बच्चे के लिए सुकूनभरा माहौल, नियमित और सक्रिय दिनचर्या और अलग-अलग कामों में व्यस्त रहने का सिस्टम बनाया जाए। साथ ही ज़रूर किसी माहिर नफ़्सियात से सलाह ली जाए।

  • तंज़ीमुल मकातिब वह दीपक है जो हमेशा जलता रहेगा

    तंज़ीमुल मकातिब वह दीपक है जो हमेशा जलता रहेगा

    हौज़ा / मौलाना सय्यद ग़ुलाम असकरी ताबासराह ने केवल एक संस्था की स्थापना नहीं की, बल्कि विचार और विश्वास, शिक्षा और प्रशिक्षण, और आंदोलन और संगठन की उस नींव को रखा, जिसने समुदाय के बिखरे हुए हिस्सों को एक संगठित चेतना में बदल दिया। यह संस्था सिर्फ दीवारों, कमरों और इमारतों का नाम नहीं है, बल्कि शिक्षा और विश्वास की वह जीवित आत्मा है, जिसकी नींव ज्ञान के प्रकाश पर रखी गई है।

  • फ़िदक की हकीकत, तारीख के आईने में

    फ़िदक की हकीकत, तारीख के आईने में

    हौज़ा / हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) और फ़िदक के बारे बहुत से प्रश्न किए हैं जैसे कि फ़िदक का वास्तविक्ता क्या है? और क्या फ़िदक के बारे में सुन्नियों की किताबों में बयान किया गया है या नहीं।हम अपनी इस श्रखलावार बहस में कोशिश करेंगे कि सुन्नियों की महत्वपूर्ण एतिहासिक किताबों में फ़िदक के बारे में विभिन्न पहलुओं को बयान करें और उस पर बहस करें।