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हज़रत ज़हरा (स) का हर इंतेखाब खालिस मारफत,जागरूकता और ख़ुदा की रज़ा पर आधारित था
हौज़ा / आयतुल्लाह सय्यद हाशिम हुसैनी बुशहरी ने कहा कि हज़रत ए फ़ातिमा ज़हरा की पूरी ज़िंदगी समझ, जागरूकता और सच्चाई का पूर्ण उदाहरण है। कुछ लोग अपने चुनाव लाभ के लिए करते हैं, कुछ डर पक्षपात या भावनाओं के दबाव में निर्णय लेते हैं, लेकिन हज़रत ज़हरा का हर चुनाव चाहे विवाह से जुड़ा हो या सामाजिक रुख़ से सिर्फ़ ज्ञान, समझ और अल्लाह की प्रसन्नता के आधार पर था।
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ज़बान की पाकीज़गी आयतुल्लाह कश्मीरी की सबसे बड़ी खूसुसीयत
हौज़ा / आयतुल्लाह कश्मीरी के शिक्षक, उस्ताद अली अकबर सदाकत ने अपने शिक्षक की सबसे प्रमुख विशेषता बताते हुए कहा कि उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे कभी किसी के बारे में बुरी बात ज़बान पर नहीं लाते थे।
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ईरान की इस्लामिक क्रांति हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) के विरोध के तरीके की एक शानदार झलक…
हौज़ा/ आयतुल्लाह काबी ने कहा कि हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) ने इतिहास में ऐसी नेमतें छोड़ी हैं जिन्होंने आशूरा से ईरान की इस्लामिक क्रांति तक का रास्ता रोशन किया, और आज ईरानी राष्ट्र की ताकत की धुरी न्यायशास्त्र की रखवाली, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स और लोगों की समझ है।
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हौज़ात ए इल्मिया और मराज ए तकलीद हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के कर्ज़दार हैं
हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम मुहम्मद हुसैन हल्लाजी मुफरद ने कहा: हौज़ात ए इल्मिया और मराज ए तकलीद हज़रत फातिमा ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) के कर्ज़दार हैं। हज़रत ज़हरा (सला मुल्ला अलैहा) की कोशिशों की वजह से ही उनके बेटे इमाम जाफ़र सादिक (अलैहिस्सलाम) ने इस्लाम धर्म की रक्षा के लिए हदीसों और कानूनी उसूलों को समझाया।
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आयतुल्लाह करीमी जहरमी: इल्म ए कलाम, फ़िक़ह की बुनियाद और दीनी पहचान का संरक्षक है
हौज़ा / क़ुम में अंजुमन ए कलाम-ए-इस्लामी की उन्नीसवीं बैठक आयतुल्लाह अली करीमी जहरमी की मौजूदगी में आयोजित हुई।
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खुशबख्त वह है जिसका उस्ताद-ए-अखलाक़ खुदा हो: आयतुल्लाह अज़ीज़ुल्लाह ख़ुशवक्त
हौज़ा / स्वर्गीय आयतुल्लाह अज़ीज़ुल्लाह ख़ुशवक्त (रह.) ने अपने एक दर्स-ए-अखलाक़ में उस्ताद के चुनाव और हकीकी रहनुमाई के मौज़ू पर बात करते हुए कहा कि इंसान अक्सर इस बात में उलझ जाता है कि किसे अपना उस्ताद बनाए, लेकिन हकीकत में सबसे बड़ा उस्ताद खुद खुदावंद है।
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भारतीय धार्मिक विद्वानों का परिचय | अल्लामा मुहम्मद हुसैन नौगांवी
हौज़ा /पेशकश: दनिश नामा ए इस्लाम, इन्टरनेशनल नूर माइक्रो फ़िल्म सेंटर दिल्ली
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आयतुल्लाहिल उज़्मा हुसैन मज़ाहेरी का आयतुल्लाह बहबहानी की पचासवीं बरसी पर विशेष संदेश
हौज़ा / मरजा ए तकलीद आयतुल्लाहिल उज़्मा हुसैन माज़ाहेरी ने आयतुल्लाह मीर सैयद अली बहबहानी की पचासवीं पुण्यतिथि के अवसर पर अहवाज़ में आयोजित एक कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण संदेश जारी किया, जिसमें दिवंगत मरजा-ए-तकलीद की विद्वतापूर्ण आध्यात्मिक, सामाजिक और राजनीतिक सेवाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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जुमआ की नमाज़ के खुतबों में जनता के मुद्दों और देश की स्थितियों का ज़रूर ज़िक्र होना…
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा मक़ारिम शीराज़ी ने कहा है कि जुमआ की नमाज़ के खुत्बे सामाजिक, नैतिक, क्रांतिकारी और जनता के मुद्दों को बयान करने के लिए बेहद प्रभावी ज़रिया हैं, और नाइंसाफियों के बारे में सही समय पर चेतावनी समाज के एक बड़े हिस्से पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।
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लोगों के दिलों में उम्मीद जगाना मीडिया का मूल दायित्व है
हौज़ा / मस्जिद ए मुक़द्दस जमकरान के मुतवल्ली हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद अली अकबर उजाक नेज़ाद ने कहा कि इस्लामी इंकेलाब के भविष्य के प्रति जनता में उम्मीद पैदा करना और दुश्मन को मायूस करना, मीडिया के मैदान में जिहाद का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। मीडिया का काम सिर्फ सूचना पहुँचाना नहीं, बल्कि जिहाद-ए-तब्यीन और उम्मीद जगाने के ज़रिए समाज को मज़बूत करना है, जैसे ग़ज़्जा के लोग आज तक पत्रकारों की उम्मीद अफ़ज़ा पत्रकारिता के सहारे डटे हुए हैं।
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जो कोई अपने माता-पिता को दुःखी करता है, वह अपने आप को माता-पिता का अवज्ञाकारी बनाता…
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाह जवादी आमिली ने रसूल अक़रम (सल्लल्लाहो अलैहे व आलेहि वसल्लम) की हज़रत अली (अलैहिस्सलाम) को वसीयत में माता-पिता और संतान के अधिकार बताते हुए फरमाया: जो भी अपने माता-पिता को दुखी करता है, उसने खुद को उनके प्रति नाफरमान बना लिया।
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हमने कौन सा अमल सिर्फअल्लाह के लिए किया?
हौज़ा / हमारा समय और हमारा इल्म कीमती पूंजी है। इसे या तो मामूली और बेकार कामों में बर्बाद किया जा सकता है, या कभी-कभी हम इसे किसी ज़हरीली चीज़ के बराबर नुकसानदेह काम में लगा देते हैं। हर पल हमें यह परखना चाहिए कि हमारे काम भगवान के लिए हैं या दुनिया के लिए। सच्ची नीयत के लिए समझ, सोच और मोहब्बत चाहिए, तभी काम की असली अहमियत होती है। यहां तक कि अगर पूरी जिंदगी सिर्फ़ एक इंसान की हिदायत में लग जाए, तो भी उसकी क़ीमत पूरी दुनिया से ज्यादा है।
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अय्यामे फामेमीया का जिंदा रखना दिन की सबसे बड़ी खिदमत है।आयतुल्लाहिल उज़्मा वहीद…
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा वहीद खुरासानी ने जोर देकर कहा कि वर्तमान युग में दीन की सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ी सेवा अय्यामे फातेमीया का पुनरुत्थान है। हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा कि सीरत की विशेषता यह है कि उनके पवित्र जीवन में "तवल्ला" और "तबर्रा" दोनों सिद्धांत पूरी महानता के साथ एकत्रित हैं और इन सिद्धांतों की पहचान ही अय्याम-ए-फातिमा के पुनरुत्थान का वास्तविक उद्देश्य है।
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टेक्नोलॉजी, मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के शरई पहलू / आयतुल्लाहिल उज़्मा मक़ारिम…
हौज़ा / मरजा ए तकलीद आयतुल्लाहिल उज़्मा मक़ारिम शीराज़ी ने आधुनिक तकनीक, कॉपीराइट, मीडिया के उपयोग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित पैदा होने वाले संवेदनशील शरई सवालों के विस्तृत जवाब देते हुए स्पष्ट किया है कि दूसरों के वैज्ञानिक, बौद्धिक और व्यक्तिगत अधिकारों का ध्यान रखना हर हाल में ज़रूरी है, चाहे कानून इसे अनिवार्य करे या न करे।
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छात्रों को शैक्षणिक प्रगति और आध्यात्मिक विकास के लिए निरंतर और अथक प्रयासों को बहुत…
हौज़ा / आयतुल्लाह आराफी ने कहा: रूहानी तरक़्क़ी तभी मुमकिन है जब इंसान अपने भीतर की बेदारी, ज़हनी होशियारी और दिल की निगहबानी को मजबूत करे, क्योंकि इंसान की रूह शैतानी फुसफुसाहटों और नफ़्सानी इच्छाओं के हमलों का निशाना होती है।
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बसीरत और तवाज़ो के बिना मानवी मक़ामात तक रसाई सम्भव नही हैः हुज्जतुल इस्लाम सय्यद…
हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन सय्यद रहीम तवक्कुल ने कहा कि इंसान अगर बसीरत, तवाज़ो और ख़ुलूस के साथ ज़िन्दगी के क़ीमती लमहात से फ़ायदा उठाए तो वह मामूली अफ़राद से बुलंद होकर आला-तरीन रूहानी मरातिब तक पहुंच सकता है।
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मोमिन की अलामत यह है की नामे हुसैन अ.स. सुनते ही दिल पिघल जाए और आंख नम हो जाए। हुज्जतुल…
हौज़ा / मशहूर कुरआन शिक्षक और अख्लाक के प्रोफेसर हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन हुसैन अन्सारियान ने कहा कि सोच-समझकर और अर्थपूर्ण शब्द इंसान की तकदीर बदल देते हैं, जबकि बेमानी शब्दों की कोई कीमत नहीं है। मोमिन की पहचान यह है कि हुसैन अ.स. का नाम सुनते ही दिल पिघल जाए और आँख नम हो जाए।
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दुश्मन ने फौजी और राजनीतिक मोर्चों पर नाकामी के बाद अपनी पूरी ताकत सांस्कृतिक युद्ध…
हौज़ा / शहर बीरजंद में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आयतुल्लाह महमूद रजबी ने कहा कि हक़ और बातिल का टकराव इंसान की पैदाइश के आगाज़ से ही शुरू हो गया था और क़यामत तक जारी रहेगा।
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ख़ुदा की रज़ा और खुशनुदी आवाम की खिदमत में हैंः आयतुल्लाह सईदी
हौज़ा / आयतुल्लाह सैयद मोहम्मद सईदी ने कहा,दुनियावी मंसब और नेमतें ख़ुदा की अमानत हैं और हर ज़िम्मेदार क़यामत के दिन अपने अमल के बारे में जवाबदेह होगा।
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मौजूदा दौर की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए, हौज़ा ए इल्मिया में 400 से अधिक विषय…
हौज़ा / हौज़ा‑ए‑इल्मिया के प्रमुख ने कहा: मौजूदा दौर की ज़रूरतों और इंक़लाब व इस्लामी निज़ाम के तक़ाज़ों को पूरा करने के लिए, हौज़ा‑ए‑इल्मिया के इल्मी दरख़्त में 16 बड़े शोबे‑ए‑इल्म और 400 से ज़्यादा मज़ामीन और तख़स्सुसात तैयार और मंज़ूर किए गए हैं।