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शरई अहकाम । अरबईन की नज़्र की बची राशि का इस्तेमाल
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने अरबईन की नज़्र के बाकी बचे पैसो से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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अमल की कुबूलियत मे इखलास का असर
हौज़ा/ अल्लाह के रसूल (स) ने एक रिवायत में इख़लास के महत्व पर ज़ोर दिया है।
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24 सफ़र 1447 - 18 अगस्त 2025
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 24 सफ़र 1447 - 18 अगस्त 2025
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विलायत ए फ़क़ीह की दलीले (नक़ली दलीले)-भाग 2
हौज़ा / जिसे फ़कीहों ने विलायत ए फ़क़ीह को साबित करने के लिए बयान किया है: उमर बिन हनज़ला की रिवायत है ।
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ख़ालिस तरीन अमल
हौज़ा/ इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने एक रिवायत में इखलास के महत्व पर प्रकाश डाला है।
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23 सफ़र 1447 - 17 अगस्त 2025
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 23 सफ़र 1447 - 17 अगस्त 2025
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इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत के बाद ज़ायर की आध्यात्मिक स्थिति में बदलाव ज़रूरी है:…
हौज़ा / आयतुल्लाह जवादी आमोली ने कहा कि इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत करना सिर्फ़ एक बाहरी कार्य नहीं है, बल्कि यह ज़ायर के आंतरिक स्वरूप और चरित्र में वास्तविक परिवर्तन का एक साधन है।
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इस्लाम मर्द और औरत को उनके स्वभाव और प्राकृतिक तक़ाज़ों की बुनियाद पर देखता है
हौज़ा / इस्लाम ने मर्द को देखभाल करने वाला और औरत को ख़ुशबू क़रार दिया है। यह न तो औरत की शान में गुस्ताख़ी है और न ही मर्द की शान में। यह न तो औरत को हक़ से महरूम करना है और न मर्द का हक़ पामाल करना है।तराज़ू पर भी अगर रख दें तो दोनों बराबर हैं।
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ईमान वालों की एक-दूसरे पर श्रेष्ठता का मानदंड
हौज़ा/ पैगंबर मुहम्मद (स) ने एक रिवायत में इखलास के महत्व पर प्रकाश डाला है।
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22 सफ़र 1447 - 16 अगस्त 2025
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 22 सफ़र 1447 - 16 अगस्त 2025
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अरबईन हुसैनी की नजफ़ से कर्बला तक की प्रेम यात्रा, विद्वानों का राष्ट्र की एकता,…
हौज़ा/ अरबईन हुसैनी की नजफ़ से कर्बला तक की यात्रा में भाग ले रहे भारत और पाकिस्तान के विद्वानों ने हौज़ा न्यूज़ के साथ एक साक्षात्कार में राष्ट्र की एकता, उत्पीड़ितों के समर्थन और धार्मिक जागृति के संदेश पर प्रकाश डाला।
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इमाम हुसैन (अ) के मसाइब पर आँसू बहाने का सवाब और मक़ाम
हौज़ा / इमाम ज़माना(अ) ने एक रिवायत में इमाम हुसैन (अ) के मसाइब पर आँसू बहाने के साथ जल्द जु़हूर होने की दुआ के महत्व पर ज़ोर दिया है।
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विलायत ए फ़क़ीह की दलीले (नक़ली दलीले)
हौज़ा / इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) की ग़ैबत के समय, शिया उनके उपासकों को चाहिए कि जो भी नए मसले सामने आएं, वे हदीस के विश्वसनीय रिवायत करने वालों की ओर रुख करें। यह साफ़ है कि मासूम इमामों (अलैहिस्सलाम) के शब्दों को समझना, खासकर उनके फ़रमानों और व्यक्तिगत व सामाजिक फर्ज़ों को जानना, इस्लामी और धार्मिक ज्ञान में बहुत ऊँची विशेषज्ञता माँगता है। इमामों की हदीसों से शरई हुक्म निकालना बहुत ही जटिल काम होता है।
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इमाम हसन असकरी अ.स.ने ज़ियारत ए अरबईन की अहमियत को बयांन किया है
हौज़ा / इमाम हसन असकरी अ.स. ने फ़रमाया पाँच चीज़ें मोमिन और शियों की निशानी हैं उन्हें में से एक ज़ियारते अरबईन इमाम हुसैन अ.स.चेहलुम के दिन की ज़ियारत हैं।
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इश्क़े खुदा मे शराबोर, अरबाईन हुसैनी 2025 का सफ़र
हौज़ा/ अपने आक़ा और मौला, सय्यद उश शोहदा इमाम हुसैन (अ) की पवित्र दरगाह पर ज़ियारत करने के बाद, मैं अल्लाह के हुज़ूर मे, मुहम्मद और आले मुहम्मद (अ) की उपस्थिति में यह प्रतिज्ञा करता/करती हूँ कि मैं अपने चरित्र, शब्दों और कर्मों के माध्यम से हुसैन (अ) के संदेश का प्रतिनिधि बनूँगा/बनूँगी।
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इंटरव्यूः अरबईन हुसैनी ईसार और दीनी ग़ैरत का एक अज़ीम पैग़ाम है: हुज्जत-उल-इस्लाम…
हौज़ा / नजफ़ अशरफ़ से कर्बला तक पैदल यात्रा करते हुए मौलाना कमला हैदर खान ने कहा कि इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत केवल इबादत नहीं है, बल्कि यह इंसानीयत, ईसार और दीनी ग़ैरत का संदेश देने का एक व्यावहारिक माध्यम है।
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21 सफ़र 1447 -15 अगस्त 2025
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 21 सफ़र 1447 -15 अगस्त 2025
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इज़राइल और अरबईन का डर
हौज़ा/अरबईन हुसैनी प्रेम और प्रतिरोध का एक जीवंत यूनिवर्सिटी है जो लाखों अहले-बैत (अ) प्रेमियों की उपस्थिति में अहंकारी शासन के झूठे नियमों का पर्दाफ़ाश करके इस्लामी सभ्यता का ध्वजवाहक बन गया है। यह महान पदयात्रा एक ऐसे भविष्य का खाका प्रस्तुत करती है जिसमें "ईश्वरीय प्रतिज्ञा" पूरी होगी।
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वह ज़ियारत जिसकी सभी नबी कामना करते हैं
हौज़ा / इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने एक रिवायत में नबियों की इमाम हुसैन (अ) की दरगाह की ज़ियारत की तीव्र इच्छा का ज़िक्र किया है।
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शरई अहकाम। क्या अरबईन के दिन काम करने में कोई शरई समस्या है?
हौज़ा / आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी ने अरबाईन के दिन काम करने के शरई हुक्म के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर दिया है।