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हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.ल.कि शहदत के मौके पर पूरे ईरान में शोक का माहौल
हौज़ा / ईरान और विशेष रूप से क़ुम अलमुकद्देसा में आठवें इमाम अली रज़ा अ.स. की बहन हज़रत फ़ातिमा मासूमा शहादत के मौके पर मोमनिन ने ग़म मानते हुए अजादारी की।
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हज़रत मासूमा स.ल. की ज़ियारत करने वालो के लिए जन्नत का वादा शर्त के साथ है या बिना…
हौज़ा / हज़रत इमाम जाफर सादिक अ.स.ने फरमाया,فمن زارھا وجبت لہ الجنۃ का अर्थ यह है कि जिसने भी उनकी ज़ियारत की, उसके लिए जन्नत वाजिब हो गई।लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है यह वादा बिना शर्त नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति उनकी ज़ियारत करने के बाद चाहे जो भी बड़े से बड़ा पाप करे फिर भी उसके लिए जन्नत सुनिश्चित रहेगी।
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हज़रत मासूमा स.ल.की ज़ियारत का फल जन्नत और क़यामत के दिन सिफ़ारिश की
हौज़ा / मासूमीनीन अ.ल. के अनुसार, हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) की ज़ियारत स्वर्ग की गारंटी है। वह एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने अपनी उपासना, भक्ति और सिफ़ारिश के पद के कारण शिया धर्म के इतिहास में एक अद्वितीय स्थान प्राप्त किया है।
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क़ुम में पहली बार उर्दू में फ़िल्म "उख़्तुर रज़ा (स)" दिखाई जा रही है
हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) के वफ़ात दिवस के अवसर पर, क़ुम के सिनेमा वीनस में उर्दू में फ़िल्म "उख़्तुर रज़ा (स)" दिखाई जा रही है।
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खुर्शीद समारा के जीवन और चमत्कारों का संक्षिप्त अवलोकन
हौज़ा/ इमाम हसन असकरी (अ) का जीवन पुण्य, चमत्कारों और चमत्कारों से भरा था। उनका जन्म 232 हिजरी में समारा में हुआ था और मात्र 28 वर्ष की आयु में शहीद हो गए थे, लेकिन इस छोटे से कालखंड में उन्होंने इमामत और नेतृत्व की ऐसी छाप छोड़ी जो शिया धर्म के इतिहास में सदैव चमकती रहेगी।
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सबसे बुरा दोष और सबसे बड़ा पाप
हौज़ा / अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अ) ने एक रिवायत में व्यक्ति के दो सबसे बुरे गुणों की ओर इशारा किया है।
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9 रबीअ उस सानी 1447 - 2 अक्टूबर 2025
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 9 रबीअ उस सानी 1447 - 2 अक्टूबर 2025
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हज़रत इमाम हसन अस्करी (अ) की जीवनी के कुछ पहलू
हौज़ा/ अल्लाह के चुने हुए नबियों और इमामों (अ) की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी अल्लाह के धर्म की रक्षा करना और उसके प्रचार के मार्ग पर कष्ट सहना है। इन्हीं महान हस्तियों में से एक हैं हज़रत इमाम हसन अस्करी (अ), जिनका जीवन चरित्र, उच्च नैतिकता, सहनशीलता और धैर्य से परिपूर्ण था। यह छोटा लेख उनके धार्मिक जीवन के कुछ पहलुओं को प्रस्तुत कर रहा है।
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इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की शियों से उम्मीदें
हौज़ा / हज़रत इमाम हसन अस्करी अ.स. की कुछ अहादीस जिनमें आप ने शियों के सिफ़ात बयान फ़रमाए हैं, जिनके जानने और उन पर अमल करने का नतीजा दुनिया व आख़िरत में सआदत व कामयाबी है।
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इमाम हसन अस्करी (अ) का जन्म / उनके जीवन और जीवनी पर एक नज़र
हौज़ा/ हुज्जतुल इस्लाम इस्माइली चाकी ने कहा: पवित्र इमामों (अ) ने, विशेष रूप से इमाम हसन अस्करी (अ) ने प्रतिनिधि व्यवस्था स्थापित की थी ताकि अहले-बैत (अ) के मित्र और अनुयायी अपने इमाम से कभी अलग न हों, बल्कि इस माध्यम से वे हमेशा अपने प्रश्नों, अनुरोधों और आवश्यकताओं को हज़रत मुहम्मद (स) तक पहुँचा सकें।
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इमाम हसन असकरी (अ) की 31 महत्वपूर्ण हदीसें
हौज़ा / इमाम हसन अस्करी (अ) के शहादत दिवस के अवसर पर, अख़लाक़, ईमान और जीवन के तौर-तरीकों से संबंधित इमाम हम्माम की 31 हदीसें मुसलमानों के व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शन के रूप में प्रकाशित की जा रही हैं।
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इमाम हसन अस्करी (अ) की नज़र में सबसे अच्छा भाई
हौज़ा/ इमाम हसन अस्करी (अ) ने एक खूबसूरत हदीस में सबसे अच्छे भाई के गुणों का वर्णन किया है।
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8 रबीअ उस सानी 1447 - 1 अक्टूबर 2025
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 8 रबीअ उस सानी 1447 - 1 अक्टूबर 2025
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क्या ख़ुद को देखा जा सकता है?
हौज़ा / इल्म-ए- कलाम के मुताबिक चूंकि अल्लाह शरीर नहीं रखता इसलिए आंखों से नहीं देखा जा सकता, और कुरआन भी इसी की ताईद करता है। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की तरफ से अल्लाह को देखने की दरख्वास्त कलामी ऐतबार से दीदार-ए-ज़ाहिरी की नफी है, जबकि इरफानी नुक्ता-ए-नज़र के मुताबिक यह बातिनी इदराक और कल्बी शुहूद की तरफ इशारा है, जिसका कामिल तजुर्बा सिर्फ आखिरत में मुमकिन है।
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शरई अहकाम । अंडे में खून की मौजूदगी का शरई हुक्म
हौज़ा/ आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद हुसैनी सिस्तानी ने अंडे में खून की अशुद्धता और हलाल के संबंध में शरई हुक्म पर एक परामर्श का जवाब दिया है।
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7 रबीअ उस सानी 1447 - 30 सितम्बर 2025
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 7 रबीअ उस सानी 1447 - 30 सितम्बर 2025
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एक गूंगे शहीद जो इमाम ज़मान (अ) से बातें करता था
हौज़ा/अब्दुल मुत्तलिब अकबरी एक गूंगे और सरल हृदय व्यक्ति थे, जिन्हें लोग अक्सर उनकी कमज़ोरी और कम सुनने की क्षमता के कारण गंभीरता से नहीं लेते थे। लेकिन वह अपने दिल में एक ऐसे व्यक्ति से बातें करता था जो सबकी नज़रों से छिपा रहता है।
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शरई अहकाम | पुरुषों के लिए बाल और नाखून लंबे रखने और हेयर स्टाइल का शरई हुक्म
हौज़ा /आयतुल्लाह सय्य्यद अली ख़ामेनेई ने पुरुषों के लिए बाल और नाखून लंबे रखने और हेयर स्टाइल से संबंधित सवाल का जवाब दिया है।
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लोगों की सेवा करना, एक नेमत है या एक बोझ?!
हौज़ा / इमाम हुसैन (अ) ने एक रिवायत में लोगों की ज़रूरतों की पूर्ति को इलाही नेमत बताया है।
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6 रबीअ उस सानी 1447 - 29 सितम्बर 2025
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 6 रबीअ उस सानी 1447 - 29 सितम्बर 2025