यज़ीद
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अरबईन; ज़ुल्म और ज़ालिम के ख़िलाफ़ शाश्वत संघर्ष का नाम है
हौज़ा/हुज्जतुल-इस्लाम मंसूर इमामी ने कहा: अरबईन हुसैनी (अ) की महानता को जानना वास्तव में सर्वशक्तिमान ईश्वर को धन्यवाद देना है कि कैसे उन्होंने सदियों बीत जाने के बावजूद सय्यद अल-शोहदा (अ) के शुद्ध और अच्छे कार्यों को संरक्षित और प्रचारित किया। इस अनंत ईश्वरीय आशीर्वाद के लिए व्यक्ति को आभारी होना चाहिए।
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कुछ भी नहीं बदला है,कल भी इमामे काबा बेहिस थे और आज भी बेहिस हैं
हौज़ा / 1400 साल पहले काबे में इमामत करने वाला इमामे काबा पुराने यजीद के खिलाफ़ बोलने की हिम्मत नहीं रखता था क्यों की वो यजीद इब्ने मोआविया का गुलाम था और आज का इमामे काबा नेतन याहू और अमरीका जैस आज के यजीद के गुलाम किंग सलमान का सब से बड़ा गुलाम बना हुआ है कुछ भी नहीं बदला है,कल भी इमामे काबा बेहिस थे और आज भी बेहिस हैं।
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ग़दीर से विचलन 'बेतवज्जोहि' यज़ीद के शासक बनने का कारण बनी, आयतुल्लाह जन्नती
हौज़ा / ईरानी गार्जियन काउंसिल के महासचिव ने कहा: इस्लामिक समाज में ग़दीर के उपदेश पर ध्यान न देने के कारण जो विचलन पैदा हुए, उसके कारण यज़ीद जैसा व्यक्ति इस्लामी शासक बन गया।
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इस्लामे मोहम्मदी हमेशा नफरत, अलगाववाद और मानवता की हत्या को नकारता है: अल्लामा अशफाक वहीदी
हौज़ा/ तहरीक-ए-कर्बला का यही संदेश है कि हर युग के अत्याचारी और यज़ीद के सामने डट जाओ और हर दबे-कुचले के साथ खड़े नज़र आओ।
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वाक़ेआ ए आशूरा मानव समाज के लिए एक सबक और सीख है, हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के शिक्षक
हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम हसन वतनख्वा ने कहा कि इमाम हुसैन (अ.स.) का क़याम सत्य और न्याय की स्थापना थी और इसका मुख्य और महत्वपूर्ण उद्देश्य सत्य को पुकारना और मानव जीवन में एकेश्वरवाद को पुनर्जीवित करना था।
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यज़ीद के बारे मे नर्म गोशा रखने वाले अपने ईमान की फिक्र करें, पीर महफ़ूज़ मशहदी
हौज़ा / जमीयत उलेमा-ए-पाकिस्तान के केंद्रीय अध्यक्ष "सवाद आज़म" ने कहा कि जो लोग यज़ीद को अमीरुल मोमेनीन और रहमातुल्ह बुलाते हैं, वे अहल-ए-सुन्नत नहीं हो सकते, यज़ीद अहलेबैत (अ.स.) का हत्यारा है। कोई मुस्लमान इस मलऊन के बारे मे नर्म गोशा नही रख सकता। मौलवी अब्दुल अज़ीज ने यज़ीद के समर्थन में बयान देकर मुसलमानों का दिल दुखाया है।
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फ़लक छौलसीः
इमाम हुसैन (अ.स.) ने बैअत क्यों नहीं की?
हौज़ा / इमाम हुसैन (अ.स.) द्वारा यज़ीद की बैअत करने का अर्थ था कि यज़ीद के सभी काले करतूतो पर पर्दा डाल दिया जाए। अगर इमाम हुसैन ने बैअत कर ली होती, तो कोई भी मुसलमान यज़ीद पर उंगली उठाने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि जब इमाम वक़्त ने बैअत कर ली, तो क्या है लोगों का विरोध करने का अधिकार इमाम हुसैन यज़ीद की बैअत करके उसके काले करतूनतो का समर्थन नहीं करना चाहते थे। यही कारण था कि इमाम हुसैन ने बैअत करने से इनकार कर दिया।
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इमाम हुसैन (अ.स.) ने उम्मत को गुमराही से बचाया, मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वि
हौज़ा / इमाम हुसैन (अ.स.) ने अपने क़याम के माध्यम से पूरी उम्मत को गुमराही से बचाया है। अगर इमाम हुसैन नहीं उठे होते तो मुस्लिम उम्मत बर्बाद हो जाती।
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‘हुसैन’ : एक सत्याग्रही समूह !
हौज़ा / हुसैन के 72 सत्याग्रही में 18 सदस्य हुसैन के परिवार के थे, हुसैन के सत्याग्रह में खाने की रसद पहुंचने के मार्ग पर और जलाशय से पानी लेने पर ‘यझीद’ ने प्रतिबंध लगाया । तीन दिन के भुखे-प्यासे 72 सत्याग्रही पर हमला करने 80,000 की सेना-लश्कर का जमावड़ा करना ये सूचित करता है कि जालिम ‘यज़ीद’ डर रहा है।
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कर्बला में इमाम हुसैन को मिली बाहरी और अंदरूनी जीत और यज़ीद हर मोर्चे पर नाकाम, मौलाना कल्बे जवाद नक़वी
हौज़ा / अज़ादारी सभी मुसलमानों द्वारा बिना किसी भेदभाव के मनाई जाती है, हालांकि, कुछ नासेबी हौ जो एक समूह (जमात) से संबंधित हैं, वे अहलेबैत की दुश्मनी में अज़ादारी से दूर हैं। अन्यथा, अहलेसुन्नत वल जमात के बहुमत अज़ादारी ए इमाम हुसैन कर रहे हैं । इमाम हुसैन का शोक मनाने वाले सभी अज़ादारी करने वालों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए ध्यान रखना चाहिए।
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आज हमें अंतर्दृष्टि और दूरदर्शिता के साथ काम करके हुसैनी चेतना पैदा करने की जरूरत है, हुज्जतुल इस्लाम सैयद सादिक अल-हुसैनी
हौज़ा / अपनी सफो मे हुसैनी चेतना को बेदार किया जाए और इस जमाने के यज़ीद और यज़ीदियत का दृढ़ता से सामना करना चाहिए, चाहे वह धर्म-विरोधी कुरान वसीम हो या उसके गुरु दुश्मन कुरान शतीम रिसालत मआब कोई झूठा साधु संत हो।
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हज़रत अब्बास (अ.स.) पैरावाने विलायत के लिए नमूना-ए- अमल , मुजतबा अली शुजाई
हौज़ा/ अबुल फ़ज़लिल अब्बास अलैहिस्सलाम ने जिस बारीक बिनी से वेलायत को देखा उसको परखा और उसका दिफा किया अगर इस दौर में अबुल फ़ज़लिल अब्बास अलैहिस्सलाम जैसे विलायत का दिफा करने वाले हो तो लाखों यज़ीद करोड़ों शिम्र और उमरे साद पैदा हो जाए और यहां तक कि अगर वे विलायत--ए फ़कीह के विरोध में खड़े हो जाएं वे विलायत को एक तिनके के बराबर खराब नहीं कर सकते।
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पवित्र कुरान की महिमा में दुसाहस इस्लाम के दुश्मनों को लाभ पहुंचाने का प्रयास है, उलेमा खुत्बा मुम्बई
हौज़ा / पूरे इस्लामी जगत को सूचित किया जा रहा है कि जिस तरह इस आदमी ने अतीत में गंदी विचारधारा को दिखाया था वह उसकी व्यक्तिगत विचारधारा थी और शिया जगत द्वारा उसकी कड़ी निंदा की गई थी, इसलिए यह आज भी देखा जा रहा है कि तहरीफ-ए कुरान का विचार उसका व्यक्तिगत विचार और इस्लाम के दुश्मन जो उसके आक़ा (स्वामी) है उन्हे खुश करने के लिए है। इसका शिया धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
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कुरआन मजीद की शान मे गुसताख़ी, स्वंय को धर्मद्रोही घोषित करना है, मौलाना फ़ैज़ अब्बास मशहदी
हौज़ा / चौदह सौ साल पहले, यज़ीद ने कुरआन से इनकार करते सीधे मार्ग से भटक जाने की घोषणा की, और आज एक बार फिर, यज़ीद का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति कुरआन और उसके छंदों (आयतो) की प्रामाणिकता से इनकार करते हुए अपने धर्मत्याग की घोषणा करता है, इस धर्मद्रोही से संबंध रखना या दिल में उनके लिए प्यार होना विश्वास में कमजोरी का संकेत है।