हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की नीतियों के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है अब सेना के साथ साथ विश्वविद्यालय के शिक्षक और प्रोफेसर भी विरोध में शामिल हो गए हैं।
इसराइल के लगभग 2000 प्रोफेसरों और शिक्षकों ने एक पत्र पर साइन किए हैं, जिसमें गाज़ा में युद्ध खत्म करने और बंदी बनाए गए लोगों को वापस लाने की मांग की गई है।
इस पत्र में लिखा है कि इस समय युद्ध का मकसद देश की सुरक्षा नहीं बल्कि नेतन्याहू की राजनीति और निजी फायदे के लिए है।उनका कहना है कि केवल बातचीत और समझौते से ही बंदियों की सुरक्षित वापसी संभव है, जबकि युद्ध से सिर्फ मौत और नुकसान बढ़ेगा।
इसके अलावा, इसराइली सेना की ख़ुफ़िया इकाई 8200 के सैकड़ों सैनिकों ने भी गाज़ा में युद्ध फिर से शुरू करने के विरोध में एक पत्र पर साइन किए हैं।
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