हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, जामिया अज़ ज़हरा (स) की प्रबंधक ने कहा कि ईद-ए-ग़दीर हमें अहले-बैत (अ) की मोहब्बत के उस संदेश की याद दिलाती है, जो इंसान की नजात का एकमात्र साधन है उन्होंने कहा कि जामिया अज़-ज़हरा (स) का स्थापित होना अल्लाह की एक बड़ी नेमत है, जो अहले-बैत (अ) के चाहने वालों की तरबियत और विलायत के प्रचार का केंद्र है।
सय्यदा बुरक़ई ने कहा कि इस नेमत की शुक्रगुज़ारी का तकाज़ा है कि हम ख़ालिस नीयत के साथ अहले-बैत (अ) की सेवा में जुटे रहें उन्होंने अपने संबोधन में इख़लास हौसला और दीन की सेवा को कामयाबी की कुंजी बताया और कहा कि निराशा दरअस्ल दीनी अक़्दार की अहमियत को न समझने का नतीजा होता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि जामिया अल ज़हरा (स) से फ़ारिग़ होने वाली छात्राएँ दुनिया के अलग-अलग देशो में इल्मी, सामाजिक और सियासी मैदानों में उल्लेखनीय सेवाएँ अंजाम दे रही हैं उन्होंने ईरान के सुप्रीम लीडर का हवाला देते हुए कहा कि इमाम ख़ुमैनी (र) का यह महान इल्मी और दीनी इदारा आज भी अपनी बरकतों के साथ जारी है।
अंत में, उन्होंने जामिया अल ज़हरा (स) के सभी कर्मचारियों को संस्था की तरक्की के लिए लगातार कोशिश करने की नसीहत की और कहा कि हर इदारे में चुनौतियाँ होती हैं, लेकिन जामिया अल ज़हरा (स) की कामयाबी उसकी विलायती बुनियादों में छुपी है।
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