बुधवार 15 अक्तूबर 2025 - 13:17
गज़्ज़ा में शांति का धोखा ना खाएं यह नक्सलवाद का सबसे बड़ा रूप है

हौज़ा / संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार विशेष प्रतिनिधि फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने कहा है कि गाजा में जिस तथाकथित "शांति" की बात की जा रही है वह वास्तव में फिलिस्तीनियों पर जारी अत्याचार को छिपाने और भेदभाव करने की एक चाल है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार विशेष प्रतिनिधि फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने कहा है कि गाज़ा में जिस तथाकथित शांति की बात की जा रही है, वह वास्तव में फिलिस्तीनियों पर जारी अत्याचार को छिपाने और भेदभाव करने की एक चाल है।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "एक्स" पर अपने बयान में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित युद्धविरी योजना को "शांति" कहना गुमराह करने वाला है क्योंकि फिलिस्तीनियों के लिए यह नस्लवाद का सबसे बुरा रूप बन सकता है।

अल्बानीज़ ने कहा कि दुनिया को फिलिस्तीन की समस्या से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए उन्होंने नेल्सन मंडेला के प्रसिद्ध कथन का हवाला देते हुए कहा, हमें याद रखना होगा कि जब तक सभी लोग स्वतंत्र नहीं होते, कोई भी वास्तव में स्वतंत्र नहीं है।

यह बयान तब सामने आया जब एक सोशल मीडिया संदेश में गाजा में युद्धविराम के बाद की स्थिति पर टिप्पणी की गई थी। संदेश में कहा गया था जब इज़राइली अपने कैदियों की रिहाई का जश्न मना रहा हैं, फिलिस्तीनी परिवार डर में हैं कि अगर उन्होंने अपने प्रियजनों की आज़ादी पर खुशी जताई तो उन पर कहर टूट पड़ेगा। यह शांति नहीं, बल्कि सबसे बुरा नस्लवाद है।

दूसरी ओर ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने भी अपनी रिपोर्ट में गाजा में युद्धविराम समझौते को अस्पष्ट और अस्पष्ट" बताया है। रिपोर्ट के अनुसार इस योजना में न कोई स्पष्ट समय सारणी है, न मध्यस्थता प्रणाली और न ही समझौते का उल्लंघन करने पर कोई सजा निर्धारित की गई है।

गार्जियन ने लिखा कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार भी चला तो गाजा के लोगों का जीवन नर्क से निकलकर एक न खत्म होने वाले डरावने सपने में बदल जाएगा। फिलिस्तीनी एक बार फिर अपनी ही धरती पर बेघर हो जाएंगे, और शायद कुछ लोग इसे ही बड़ी सफलता बताएंगे।

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