हौज़ा/ बच्चे “देख कर” सीखते हैं, “नसीहत सुन कर” नहीं। माता-पिता का अमल, ख़ास तौर पर माँ का, बच्चे के लिए एक स्थायी नमूना होता है।परवरिश में सब्र, लगातार ध्यान और माँ की सक्रिय भागीदारी ज़रूरी…