अल्लामा तबातबाई (6)
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उलेमा और मराजा ए इकरामउस्ताद की आताअत का बेमिसाल नमूना, अल्लामा तबातबाईؒ ने इमामत-ए-जमाअत क्यों स्वीकार नहीं की?
हौज़ा / क़ुरआन के महान मफ़स्सिर अल्लामा सैयद मुहम्मद हुसैन तबातबाईؒ की व्यावहारिक ज़िंदगी विनम्रता, उस्ताद की आज्ञा-पालन और उच्च नैतिकता की उज्ज्वल मिसाल थी। वे अपने उस्ताद आयतुल्लाह सैयद अली…
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धार्मिकअगर दुनिया चाहिए तो नमाज़े शब पढ़ो, अगर आखिरत चाहिए तो नमाज़े शब पढ़ो
हौज़ा / नजफ़ अशरफ़ में अपने रहने के बारे में एक दिल को छू लेने वाली कहानी में, अल्लामा तबातबाई (र) हाज मिर्ज़ा अली आक़ा क़ाज़ी (र) के साथ अपनी किस्मतवाली मुलाकात को अपनी रूहानी ज़िंदगी में बदलाव…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 9
बच्चे और महिलाएंइस्लाम ने महिला के ऊपर सदियों की क्रूरता को कैसे समाप्त किया?
हौज़ा / इस्लाम ने औरत की हालत को मुलभूत रूप से बदल दिया और उसे पुरुष की तरह एक स्थायी और बराबर इंसान के रूप में माना। इस्लाम के अनुसार पुरुष और महिला सृष्टि और कर्म के हिसाब से बराबर हैं, और…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 8
बच्चे और महिलाएंएकमात्र धर्म जिसने महिलाओं को उनकी सच्ची गरिमा और मूल्य दिया
हौज़ा / इस्लाम से पहले अरब समाज में महिलाओं की स्थिति सभ्य और जंगली दोनों तरह के रवैयों का मिश्रण थी। महिलाएं आमतौर पर अपने अधिकारों और सामाजिक मामलों में स्वतंत्र नहीं थीं, लेकिन कुछ ताकतवर…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 5
बच्चे और महिलाएंप्राचीन ग्रीस और रोम में महिलाओं की लाचारी और उत्पीड़न की कहानी
हौज़ा / रोम और ग्रीस के पुराने समाजों में औरतों को मा तहत, बे‑इख़्तियार और अमूल्य प्राणी समझा जाता था। उनकी ज़िंदगी के तमाम मामलात चाहे इरादा हो, शादी, तलाक़ या माल‑ओ‑जायदाद सब मर्दों के इख़्तियार…