۲ آذر ۱۴۰۳
|۲۰ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 22, 2024
आदमी किसी मुश्किलात
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शरई अहकाम:
अगर कोई आदमी किसी मुश्किल की वजह से रमज़ान उल मुबारक में रोज़े ना रखे और अगले रमज़ान तक जानबूझकर उसकी कज़ा ना करें तो क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / अगर कोई आदमी किसी मुश्किल की वजह से रमज़ान उल मुबारक में रोज़े ना रखें, और रमज़ान उल मुबारक के बाद उसकी मुश्किलात दूर हो जाए और वह आने वाले रमज़ान उल मुबारक तक जानबूझकर रोजों की कज़ा ना बजा लाए तो ज़रूरी है कि रोज़ो की कज़ा करें और हर दिन के लिए एक मुद ताम भी फकीर को दे।