हौज़ा/ धर्म का प्रचार करने के लिए किसी व्यक्ति के लिए मजलिसे पढ़ना, भाषण देना, लेख लिखना आवश्यक नहीं है, क्योंकि आइम्मा ए मासूमीन द्वारा धर्म को व्यक्त करने के लिए न तो भाषा है और न ही कलम है…