हौज़ा/ आयतुल्लाह मुस्तफ़ा उलेमा ने इमाम अली (अ) की एक हदीस का हवाला देते हुए कहा: विश्वास दिल में दृढ़ होना चाहिए, न कि केवल अस्थायी और सतही। सच्चे ईमान से बड़ा कोई सम्मान नहीं है, लेकिन यह ईमान…
हौज़ा/ आयतुल्लाह मुस्तफा उलेमा ने कहा: रोज़े के प्रभाव कभी-कभी नग्न आंखों से दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन आध्यात्मिक पहलू में इसकी वास्तविकता स्पष्ट होती है।