۱ آذر ۱۴۰۳
|۱۹ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 21, 2024
आसमानी फरिश्तों
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अज़ीम शहादतों के बाद दिलों में यह सवाल उठा कि अब क़ौम का क्या होगा?
हौज़ा / सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत ने दिलों को रंजिदा (दु:खी) कर दिया है, लेकिन याद रखिए कि शहादत हमारी नसों में बहने वाला वह खून है जो हमेशा महानता की बुनियाद बनता है। इतिहास इस पर मुहर लगाता है कि शहादतों के बाद ही जीत की राहें आसान होती हैं। यह केवल एक शहीद की बात नहीं है, हाल ही में इस मुजाहिद से पहले दुनिया ने ईरानी राष्ट्रपति शहीद इब्राहीम रईसी, कासिम सुलैमानी, और इस्माईल हनिया जैसे महान बलिदानों को देखा है।