۱۵ تیر ۱۴۰۳
|۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵
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Jul 5, 2024
इंसान को जन्नत के क़रीब
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दरस ए अख़्लाक़
नमाज़ सभी हालतों में इंसान को जन्नत के क़रीब कर देती हैं
हौज़ा/इंसान अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी में कभी कभी मेहनतों, कठिनाइयों और मुसीबतों के असर में और सामाजिक ज़िन्दगी में कभी कभी बदलाव लाने वाली घटनाओं के प्रभाव में जिहाद करता हैं, मगर इंसान की सबसे ज़्यादा जो हालात बदल सकती है और नमाज़ है।