हौज़ा / आयतुल्लाह फ़क़ीही ने आगे कहा कि उलेमाओं और मोमिनीन की निरंतर ज़ियारतें, मक़बरे से प्रकट होने वाले करामात व मोज्ज़ात, और इस हरम की रूहानी फ़िज़ा इस बात की स्पष्ट निशानी है कि यह बारगाह…
हौज़ा / इतिहासकारों ने लिखा है कि इमाम हसन असकरी अ.स. की शहादत के बाद लोग 14 या 15 फ़िर्क़ों में बंट गए, कुछ इतिहासकारों के अनुसार 20 फ़िर्क़ों में बंट जाने तक का ज़िक्र मौजूद है।