इमामें जुमआ शहरे उरूमिया
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आयतुल्लाह हुसैनी बुशहरी का हौज़ा न्यूज़ के पत्रकारों से खिताब:
पत्रकारिता कोई पेशा नहीं बल्कि एक मिशन और ज़िम्मेदारी है
हौज़ा / जामिया मद्रासीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के प्रमुख आयतुल्लाह हुसैनी बुशहरी ने कहां,पत्रकारिता कोई पेशा नहीं बल्कि एक मिशन और ज़िम्मेदारी है,जैसे आलेमेदीन होना जो कि कोई पेशा नही बल्कि एक मिशन और ज़िम्मेदारी का नाम हैं।
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जब अल्लाह किसी का मार्गदर्शन करना चाहता है, तो वह उसके दिल को अपनी इबादत की ओर निर्देशित करता है
हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम अकबरज़ादे ने कहा: इस्लाम में आस्था के सबसे महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक ईश्वर में विश्वास और अत्याचार से नफरत है।
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सुन्नीयो की किताबों में हज़रत इमाम महदी (अ) के ज़हूर की खुशखबरी मौजूद है
हौज़ा / ईरान के प्रसिद्ध सुन्नी धार्मिक विद्वान मौलवी मोहम्मद रूहानी ने कहा कि हज़रत महदी (अ) का नाम सुन्नियों की कई किताबों में वादा किए गए शीर्षक के साथ वर्णित किया गया है और उनके ज़हूर की खुश खबर दी गई है।
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इमाम ज़माना (अ) का सैनिक होना बहुत मूल्यवान और अनमोल है
हौज़ा/ हौज़ा इलमिया खाहारान के प्रमुख ने कहा: अगर हम अहले-बैत (अ) की शिक्षाओं और शुद्ध इस्लामी शिक्षाओं को सही तरीके से और बिना किसी कमी के दुनिया तक पहुंचा सकते हैं, तो असली विद्वान और इमाम (अ) के असली शिया कहलाने के हक़दार बन जाऐेंगे।
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तब्लीग-ए-दीन केवल मस्जिदों और इमामबारगाहों तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए
हौज़ा / इस्लामिक प्रचार एजेंसी के प्रमुख ने कहा: धर्म का प्रचार केवल मस्जिदों और इमाम बरगाहों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए और धर्म प्रचारकों को लोगों के अंदर जाकर उपदेश देने का कर्तव्य निभाना चाहिए। एक उदाहरण के रूप में हम कई व्यावसायिक केंद्रों की ओर इशारा कर सकते हैं जहाँ प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं। इनमें कई धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे ऐसे हैं जिन्हें उचित मार्गदर्शन के अभाव में छोड़ दिया गया है।
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पश्चिमी आज़रबाईजान में वली फ़क़ीह के प्रतिनिधि
नमाज़े जमाअत इस्लामिक समाज की मानवयत और पहचान है
हौज़ा/इमामें जुमआ शहरे उरूमिया के पश्चिमी आज़रबाईजान के उरूमिया शहर के इमामे जुम्आ और वली फक़ीह के प्रतिनिधि ने हौज़ा ए इल्मिया में खिताब करते हुए कहा कि इस्लामी समाज में मानवयत और पहचान को बढ़ावा देने के लिए ज़रूरी है कि नमाज़ जमाअत से अदा की जाए और रिवायत में भी नमाज़े जमाअत के लिए बहुत ज़्यादा सवाब और ताकीद बयान की गई है। लिहाज़ा अगर नमाज़ जमाअत से अदा ना की जाए तो बहुत बड़ा नुकसान है।