इमाम हुसैन इंसानियत
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मोहसिने इंसानियत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम
हौज़ा / तीन शाबान अल-मोअज़्जम, वर्ष 4 हिजरी, अरब की भूमि पर मदीना के बनी हाशिम परिवार के क्षितिज पर ज़हरा का चांद दिखाई दिया। जिसको ज़माने मे अबू अब्दिल्लाह की उपाधी, सय्यद शबाब अहलिल जन्ना, सिब्तुन्नबी, मुबारक और सय्यद अल शोहदा जैसे शीर्षकों से याद किया जाता है।
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मोहसिने इंसानियत का ग़म मनाना एहसान मंदी का तक़ाज़ा: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / लखनऊ, पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी अशरा ए मजालिस बारगाह उम्मुल-बनीन सलामुल्लाह अलैहा मंसूर नगर में सुबह 7:30 बजे आयोजित किया जा रहा है, जिसे मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी खेताब कर रहे हैं।
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इमाम हुसैन इंसानियत को बचाने करबला गए थें, बिलक़ीस हुसैनी
हौज़ा/मौलाना अतहर जाफरी ने कहा कि इमाम हुसैन (अ०स०) ने कर्बला से हम लोगों को सबक दिया है कि हम शांति और न्याय बनाए रखें और शांति एवं न्याय के साथ खड़े रहें, अगर किसी के साथ कोई अन्याय होता है तो उसके खिलाफ आवाज़ उठाएं ताकि इमाम हुसैन का लक्ष्य हमेशा दुनिया में बाक़ी रहे।