हौज़ा / मौलाना सैयद अबुलक़ासिम साहब अहले इल्म थे, इल्म दोस्त थे और मिम्बर से इल्मी गुफ्तुगू फरमाते थे, अपनी तक़रीरों में ग़ैर इल्मी, ग़ैर मन्तिक़ी, लफ्फाज़ी, ज़ाती क़ेयास आराइयों और मनगणंत रवायेतों…