۵ آذر ۱۴۰۳
|۲۳ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 25, 2024
इस्लाम, इंसान की ज़िंदगी
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:क़ुरआन की रौशनी में
इस्लाम, इंसान की ज़िंदगी के हर मैदान के लिए हैं।
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,इस्लाम, इंसान की ज़िंदगी के हर मैदान के लिए हैं अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने, उससे दुआ मांगने, उसके सामने रोने और नमाज़ पढ़ने से लेकर जेहाद और जेहाद के मैदान में शिरकत तक सब इस दायरे में हैं, पैग़म्बर की ज़िंदगी भी यही दिखाती है।