हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा रात के एक पूरे चरण मे इबादत मे गुज़ारती थी वह खड़े होकर इतनी नमाज़ें पढ़ती थीं कि उनके पैरों पर सूजन आ जाती थी।