۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024

एक ही सिक्के के दो रूख

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  • चांस का खेल खेलना

    शरई अहकामः

    चांस का खेल खेलना

    हौज़ा / कुछ लोग पार्कों या ऐसी जगहों पर जाते हैं जहाँ चांस का खेल खेला जाता है। उदाहरण के लिए, एक सिक्का को एक बॉक्स या एक पिंजरे की तरह बॉक्स में घुमाया जाता है ताकि किसी पुरस्कार के सामने रुक जाए।जबकि यह काम पूरी तरह सही नहीं है।

  • वसीम और शकील एक ही सिक्के के दो रूखः अली हाशिम आब्दी

    वसीम और शकील एक ही सिक्के के दो रूखः अली हाशिम आब्दी

    हौज़ा / वसीम और शकील अलग नहीं हैं  बल्कि एक ही सिक्के के दो रुख हैं क्योंकि जिस तरह इंकार क़ुरआन और तौहीने रेसालत कर के वसीम मुसलमान नहीं उसी तरह वली ए ख़ुदा और जानशीने रसूल स०अ०व०अ० की तौहीन कर के शकील अहमद भी इस्लाम का मोख़ालिफ हो गया और हज़रत इमाम महदी अ०ज० पर सिर्फ शियों का अक़ीदा नहीं बल्कि अहले सुन्नत का भी अक़ीदा है लेहाज़ा हज़रत इमाम महदी अ०ज० की तौहीन करने वाला सुन्नी भी नहीं हो सकता!

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