हौज़ा/क़ुरआन सुनना वाजिब व ज़रूरी काम है अब या तो ख़ुद आयत की तिलावत कीजिए या फिर किसी और से क़ुरआन की तिलावत सुनिए यह काम अनिवार्य हैं पहली बात तो यह कि क़ुरआन सुनना वही पर ईमान के लिए अनिवार्य…