۴ آذر ۱۴۰۳
|۲۲ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 24, 2024
कुर्बे इलाही
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रमजान का पवित्र महीना अल्लाह के करीब आने और चरित्र बनाने का सबसे अच्छा ज़रिया, अल्लामा अशफाक वहीदी
हौज़ा / रौज़ा अहसास का नाम है। यदि कोई व्यक्ति रौज़ा भी रखता है लेकिन गरीब और जरूरतमंद लोगों की देखभाल नहीं करता, तो वह रोज़े के दर्शन (फलसफे) को समझ ही नहीं सका। रौज़ा केवल सहरी और इफ्तारी करने का नाम नही है बल्कि दूसरो को सहरी और इफ्तारी मे शरीक करने का नाम है।