۲ آذر ۱۴۰۳
|۲۰ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 22, 2024
ग़मे फ़ातेमा
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ग़मे फ़ातेमा को समझे बिना फ़ातेमी नही बन सकते, हुज्जतुल इस्लाम मुज़फ़्फ़र हुसैन बट
हौज़ा / हमें अपने दुःख को फातिमा (स.अ.) के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए, अर्थात हमारे दुःख का स्तर हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) के दुःख के मानक के समान होना चाहिए क्योंकि जब तक हम फातिमा (स.अ.) के दुःख को नहीं समझते हैं फातेमी नहीं बन सकते।