जनाबे ज़ैनब
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दिन की हदीस:
हज़रत जैनब स.ल.का मक़ाम और मंज़िलत
हौज़ा/हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने एक रिवायत में अकिला बनी हाशिम के मक़ाम और मंजिलात की ओर इशारा किया हैं।
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बा हिजाब महिलाएं समाज में उच्च मूल्यों को स्थापित करने और इस्लामी व्यवस्था की स्थापना के लिए मजबूत आधार प्रदान करती हैं: ज़हरा नकवी
हौज़ा / अल्लाह ने महिला की गरिमा और साख को बनाए रखने के लिए हिजाब का आदेश दिया है और उसकी शरी आवश्यकताओं को पूरा करते हुए उसे एक व्यावहारिक क्षेत्र दिया गया चाहे वह ज्ञान का क्षेत्र हो, या राजनीति का क्षेत्र हो, उसकी क्षमताओं का उपयोग करने के लिए कोई कौशल या व्यवसाय हो।
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इदारा ए मक़सदे हुसैनी ने पेश किए मानवीय सहायता के सबूत
हौज़ा / इदारा ए मकसदे हुसैनी, कश्मीरी मोहल्ला, लखनऊ के अध्यक्ष मौलाना सैयद रज़ा हुसैन रिज़वी ने मानवीय सहायता का हवाला देते हुए अपने बयान में कहा कि इदारा ए मक़सदे हुसैनी कोरोना महामारी की शुरुआत से ही लोगों की मदद कर रहा हैं।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा मज़ाहेरी:
अल्लाह की बख़शिश किन लोगो के शामिले हाल नही होती?
हौज़ा / आयतुल्लाह मजाहेरी ने कहा: क्षमा और दरगुज़र एक ऐसा गुण है जिसे भुला दिया गया है। उन्होंने कहा: आज लोग एक-दूसरे को माफ और दरगुज़र नहीं करते हैं और इस गुण को भुला दिया गया है।
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हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा और कुराने करीम
हौज़ा/ कुरान मजीद का हज़रत ज़ैनब की ज़बान पर जारी होना और इससे इस्तेदलाल करना ये ज़ाहिर कर रहा है,कि वह कुरान से कभी दूर नहीं हुई और हमेशा कुरान को एक प्रकाशस्तंभ बना दिया जब विपत्ति की दुनिया में आदमी सब कुछ भूल जाता है। लेकिन उन्होंने हमें सिखाया कि किसी भी परिस्थिति में कुरान को न छोड़ें और जितना हो सके उसका पालन करें।कर्बला के लोगों का अंतिम संदेश कुरान है।
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आशूरा के दिन इमाम हुसैन (अ.स.) के सब्र पर फरिश्ते भी हैरान थे,आयतुल्लाह उज़्मा मज़ाहेरी
हौज़ा/आयतुल्लाह उज़्मा मज़ाहेरी ने कहां, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनकी कर्बला से हमें यह दरस मिलता है कि हम जिंदगी में सब्र के दामन को अपने हाथ से ना जाने दे क्योंकि खुदा की आतअत के लिए भी तो सब्र करना ज़रूरी है।