जलस ए सीरत
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जामिया इमामिया तंज़ीमुल मकातिब में जलसा ए सीरत का आयोजन
इमाम हुसैन (अ.स.) के बिना धर्म की अवधारणा संभव नहीं है ः मौलाना सैयद फैज अब्बास
हौज़ा / अगर सरकारे सैय्दुश्शोहदा के बिना धर्म की अवधारणा करे तो हमे कुछ नहीं मिलेगा। 28 रजब से 2 मोहर्रम तक की इमाम हुसैन (अ. स.) की यात्रा जिसे हम मसाइब में सुनते और कल्पना करते हैं, लेकिन अगर हम मसाइब के साथ साथ फज़ाइल और हिदात के दृष्टिकोण से इस पूरी यात्रा को देखे और अमल करे तो हमारा जीवन धन्य हो जाता है।
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जामिया इमामिया तंज़ीमुल मकातिब में जलसा ए सीरत का आयोजन:
शहज़ादी फातिमा ज़हरा (स) का इससे बड़ा गुण क्या हो सकता है कि रसूल (स.अ.व.व.) जैसा पिता उन्हें अपनी माँ कहेः मौलाना मंज़र अली आरफ़ी
हौज़ा / जामिया इमामिया के एक शिक्षक मौलाना मंजर अली आफी ने पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) की हदीस "फातिमा उम्मे अबीहा (अपने पिता की माँ)" के आलोक में कहा कि एक बेटी के लिए इससे बड़ा गुण क्या हो सकता है कि उसका पिता उसे अपनी माँ कहे वो भी रसूले अकरम जैसा पिता जो रहमुल लिल आलामीन है।
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जामिया इमामिया तनज़ीमुल मकातिब में जलसे सीरत का आयोजनः
अल्लाह की सिफत राज़दारी, नबियों की सिफत मुरव्वत और इमामों की सिफत मुश्किलों में सब्र हैः, मौलाना तनवीर अब्बास
हौज़ा / इमाम अली रज़ा (अ.स.) की शहादत के मौक़े पर जामिया इमामिया तनज़ीमुल मकातिब में जलसे सीरत मुनअक़िद किया गया। जिसमे बल्लिग जामिया इमामिया मौलाना सैयद तनवीर अब्बास साहब ने कहा कि मोमिन में अल्लाह,नबियों और इमामों की सिफत होनी चाहिए, अल्लाह की सिफत राज़दारी है, नबियों की सिफत मुरव्वत है और इमामों की सिफत मुश्किलों में सब्र है।