۴ آذر ۱۴۰۳
|۲۲ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 24, 2024
जाहिलीयत
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इत्रे क़ुरआन ! सूर ए आले इमरान
ब्याज वाली संपत्ति का सभी प्रकार का निपटान निषिद्ध है
हौज़ा / इस्लामी समाज की आस्था ही आर्थिक मामलों में ईश्वरीय नियमों को स्वीकार करने का आधार है। किसी धार्मिक समाज में सूदखोरी से दूर रहना इस समाज में धर्मपरायणता का प्रतीक है।