जिला अमरोहा
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अमरोहा का मुहर्रम हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है
हौज़ा/अमरोहा का मुहर्रम जिन मामलों में अद्वितीय है, उनमें इमाम हुसैन के प्रति हिंदुओं की भक्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मुस्लिम श्रद्धालुओं की तरह हिंदू पुरुष और महिलाएं भी कर्बला के शहीदों के प्रति अपना हार्दिक प्रेम, भक्ति और सम्मान व्यक्त करते हैं।
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कर्बला का संदेश जुल्म के खिलाफ व्यावहारिक विरोध है, मौलाना फजल मुमताज
हौज़ा / अगर इमाम हुसैन के फ़र्शे अज़ा से हमें नफरत और जुल्म का विरोध नहीं महसूस होता तो हमें अपनी आत्मा की स्थिति पर विचार करना चाहिए।
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अहलेबैत अ.स. से मोहब्बत ज़बानी दावे काफी नहीं है। मौलाना असगर एजाज़ कायेमी
हौज़ा/निजात के लिए कश्ती पर सवार होना ज़रूरी है, किनारे पर खड़े होकर कश्ती की खूबसूरती की तारीफ करने से निजात नहीं मिल सकती
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अमरोहा, मुहर्रम के पहले दस दिनों का मज़हबी अकीदत और एहतेराम के साथ एहतेमाम
हौज़ा/ शहर ,अज़ादारी अमरोहा में मोहर्रम का पहला अशरा निहायत हि अकीदत और मज़हबी जज़्बात के साथ जारी है।
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हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैय्यद इंतजार हुसैन नक़वी (हिंदी)
हौज़ा/ आप एक बेहतरीन मनाज़िर थे आपने हिंदुस्तान के विभिन्न जग्गू जगहों पर मुनाज़ेरा किया जिसके नतीजे में पूरनिया बिहार हिंद में तकरीबन एक हज़ार लोगों ने मजहबे हक़ और इस्लाम को कुबूल किया, और इसके अलावा भी काफी लोगों ने मुख्तलिफ जगहों पर मजहबे हक़ कुबूल किया और आपने बहुत सारी किताबें लिखी है जो मशहूर है। आपको तालीफ और तसनीफ का बहुत शौक था,