डॉय मेहदी ख्वाज़ा पीरी
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इंटरनेशनल नूर माइक्रोफिल्म सेंटर के प्रमुख
ईरानी राष्ट्र को हिंदुस्तान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की ज़रूरत हैं।
हौज़ा/इंटरनेशनल नूर माइक्रोफिल्म सेंटर हिंदुस्तान के प्रमुख ने कहां; दुर्भाग्य से ईरान के कुछ वर्गों में हिंदुस्तान के बारे में जानकारी बहुत कम है इस चीज़ को बढ़ावा देने के लिए और अधिक जानकारी प्रदान करने के लिए सबसे अच्छा विभाग हौज़ा न्यूज़ एजेंसी हैं।
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हैदराबाद सालार जंग म्यूज़ियम में इंटरनेशनल प्रदर्शनी,400कुरआन, 60 कलमी नुस्खे और 15 हुबहू नुस्खे और अन्य किताबों के कलमी नुस्खे रखे गए/फोटों
हौज़ा/ इस प्रदर्शनी में भारतीय और ईरानी कलाकारों द्वारा 400 से अधिक काम शामिल हैं। इस प्रदर्शनी में, ईरानी कलाकार हम्ज़ा अली कादरी और गुज़र पन्ही और भारतीय कलाकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे और अति सुंदर इस कार्य को अंजाम दिया,और माहे रमजानुल मुबारक की दुआओं के खूबसूरत शब्द और आयते कुरआनी को लिखकर वहां मौजूद लोगों की खिदमत में पुरस्कार के रुप में भेंट किया
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हम उपमहाद्वीप में अनुसंधान पर काम करने के लिए तैयार हैं, आयतुल्लाह आराफ़ी
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के प्रमुख ने कहा: हौज़ा ए इल्मिया के आधार पर मैं दिल्ली में नूर माइक्रो फिल्म सेंटर के काम और गतिविधियों जो श्रीमान ख्वाजा पीरी के प्रयासों से बना है की सराहना करते हुए उनको धन्यवाद देना चाहता हूं। इस केंद्र ने वास्तव में शिया साहित्य की विरासत को पुनर्जीवित किया है।
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इस्लामी गणराज्य ईरान के राजदूत "डॉ अली चगिनी" और डॉ सैयद नासिर हुसैन "राज्य सभा सांसद" के हाथो सेः
किताब "हमारे अली" और "दो क़ल्मी नुस्ख़ो " का रस्मे इजरा
हौज़ा / "हमारे अली" एक ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखी गई किताब है जो इस्लाम धर्म का पालन नहीं करता था, लेकिन जब वह किताब उठाता है और उसे देखता है, तो उसे उसमें विश्वासों का एक समुद्र दिखाई देता है, जो दर्शाता है कि लेखक के हृदय में मौला ए कायनात अली (अ.स.) के लिए कैसी कैसी भावनाएँ थीं।