तनजीमुल मकातिब
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धर्मगुरुओ और बुद्धिजीवियों की तनज़ीमुल मकातिब में होने वाली इंटरफेथ सम्मेलन में शामिल होने की अपील
हौज़ा / तनज़ीमुल मकातिब की समयबद्ध पहल की सराहना करते हुए लोगों से अधिक से अधिक संख्या में सम्मेलन में शामिल होने की अपील की है।
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दुआए सेहत की गुज़ारिश, मुलतमिस मौलाना सैयद सफी हैदर ज़ैदी
हौज़ा / सरबराहे तहरीके दींदारी ख़तीबे आज़म बानी तन्ज़ीम मौलाना सैयद ग़ुलाम अस्करी र०अ० की अहलिया की तबीअत काफी नासाज़ है। तहरीके दींदारी और क़ेयामे तन्ज़ीमुल मकातिब में ख़तीबे आज़म की हमराही आप का नुमायां किरदार है।
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अल्लाह पर भरोसा, पूर्ण विश्वास और संतोष इमाम खुमैनी की पहचान: मौलाना सैयद नक़ी अस्करी
हौज़ा / इमाम खुमैनी कोई व्यक्ति या व्यक्तित्व नहीं बल्कि एक युग का नाम है। इमाम खुमैनी की क्रान्ति ने न केवल उत्पीड़क को पराजित कर शोषितों को विजय दिलाई, बल्कि विद्वानों की सच्ची तस्वीर पेश की।
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जामिया इमामिया में हुई ऑनलाइन मीटिंग:
कोरोना महामारी के चलते इस साल भी ऑनलाइन पढ़ाई संभव, मौलाना सैयद मुमताज जफर नकवी
हौजा / जामिया इमामिया के प्रधानाध्यापक ने कहा: कोरोना महामारी के कारण देश में लाकडाउन लागू है, इसलिए इस वर्ष भी ऑनलाइन शिक्षा संभव है, इसलिए हमें इस पर ध्यान देना होगा क्योंकि यदि हम ध्यान नहीं देते हैं जहां समय की बर्बादी होगी, वहां अल्लाह के आशीर्वाद के लिए कृतघ्नता होगी और इस नुकसान की भरपाई करना संभव नहीं होगा।
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98 बरस से जन्नतुल बक़ी की वीरानी मज़लूमियत की निशानी और आलमे इस्लाम की ग़ैरत पर सवालिया निशान है, मौलाना सफी हैदर ज़ैदी
हौज़ा / तंज़ीम अल-मकातिब के प्रमुख ने कहा कि यह विस्मृति और परोपकार का एक ऐसा परोपकारी कार्य है कि जो लोग आज अल्लाह की इबादत का तरीका सिखाते हैं, उनके दरगाह वीरान हैं।
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औक़ाफ़े हुसैनी में गबन की सजा से बचने के लिए वसीम रिज़वी ने सभी सीमाएँ पार कर लीं: मौलाना सफी हैदर ज़ैदी
हौज़ा / तनज़ीमुल मकातिब के सचिव ने कहा वसीम रिज़वी ने अपनी समस्याओं को छुपाने के लिए कई अन्य मुद्दों को उठाने की असफल कोशिश की। अयोध्या मामले में एक पार्टी बनना या एक विवादास्पद फिल्म पेश करना उसी श्रृंखला में एक कड़ी थी और अंतत: पवित्र कुरान की आयतो का इनकार करके अपनी हकीकत दुनिया के सामने जाहिर कर दी ।
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तन्जीमुल-मकतिब केसचिवः
अली (अ.स.) की सरकार में कोई भी भूखा नहीं सोता था, मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी
हौज़ा / तन्जीमुल-मकतिब केसचिव ने कहा कि ब्रह्मांड में केवल अली की सरकार थी जिसमें कोई भी भूखा नहीं सोता था। इंशााल्लाह इमामे जमाना (अ.त.फ.श.) के जहूर के बाद जब सरकार बनेगी तो वहा भी यही अंदाज़ होगा।
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अली का शिया भावनाओं से काम नहीं लेता, मौलाना सैयद ज़मीरुल हसन
हौज़ा / तनजीमुल मकातिब के निदेशक मंडल के सदस्य ने कहा कि जब तक हम खुद को अली का शिया ना बना लें हम सफल नहीं हो सकते और उन्होंने कहा कि प्रेमी होना और है शिया होना और है प्रेमी भावनाओ से काम लेता है लेकिन शिया भावनाओ से काम नही करता।
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ग़लती का एहसास राहे सआदत की पहली मंजिल है, मौलाना मुमताज़ अली
हौज़ा / तन्ज़ीमुल मकातिब के उपाध्यक्ष ने कहा कि अगर यह भावना किसी व्यक्ति में पैदा हो जाए, तो वह हुर बन जाता है। यह त्रुटि का एहसास ही था जिसने जनाबे हूर को आज़ादी दिलाई, त्रुटि का एहसास खुशी की पहली मंजिल है।
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देश के विभिन्न इलाकों में तनज़ीमुल मकातिब ने इमामिया स्टडी सेंटर खोले
हौज़ा / क़ौम के भविष्य के निर्माण के लिए बच्चों की धार्मिक शिक्षा और परवरिश के साथ दुनयावी शिक्षा में महत्वपूर्ण सफलता आवश्यक है।इसलिए उनकी ज़रूरी धार्मिक शिक्षा के साथ दुनयावीशिक्षा में क्वालिटी को अच्छा करने और उन्हें कम से कम हाई स्कूल तक सहारा देकर कॉमपिटीशन के लायक बनाने के लिए तनज़ीमुल मकातिब ने इमामिया स्टडी सेंटर के नाम से एक लक्ष्य तय्यार किया और प्रयोग के बाद पूरे देश में लागू करने की तरफ़ क़दम बढ़ा दिया है।
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तन्ज़ीमुल मकातिब के सचिवः
हुसैनी मिम्बर अहलेबैत (अ.स.) के संदेशो के प्रसारण से मख्सूस है, मौलाना सैय्यद सैफी हैदर जै़दी
हौज़ा / इमामबारगाह मासूमीन (अ.स.) के आदेशों को पूरा करने की एक जगह है। यहां लोग सीरत-ए-अहलेबैत (अ.स.) से आशाना हो। इमामबारगाह का उद्देश्य अहलेबैत (अ.स.) की शिक्षाओं को जिंदा करना है। इसी प्रकार मिम्बर का मकसद भी इन्हीं संदेशों को बयान करना है। यदि मिम्बर से इन से हटकर बाते हो लोगो की नीजि बाते सम्मिलित हो जाए तो यह देखने मे तो मिम्बर होगा लेकिन इमाम सज्जाद (अ.स.) की दृष्ठि से यह लकड़ी का ढेर होगा।
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:तनजीमुल मकातिब के सचिव
सोच में बदलाव और चेतना की ऊंचाई इस्लामी क्रांति की पहचान है, मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी
हौज़ा / तनजीमुल मकातिब के सचिव ने कहा: दुनिया में कई क्रांतियां आई हैं लेकिन कुछ ही समय में समाप्त हो गई लेकिन इस क्रांति में धर्म केंद्र बिंदु है और लोगों की नियति कभी भी पर्दे के पीछे तय नहीं होती है और न ही उनको उनकी अज्ञानता के बेस पर उनको गुलाम बनाया जाता है। वास्तव मे लोगों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता है।