۱ آذر ۱۴۰۳
|۱۹ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 21, 2024
तमाम मराजय इकराम का शरई मसला:
Total: 4
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शरई अहकाम:
अगर नमाज़ के सलाम के लिए फक्त (अस्सलाम वालैकुम व रहमतुल्लाही वा बरकातुहू) को पढ़े तो काफी होगा?
हौज़ा / तमाम मरजय इकराम: जी हां यही सलाम पढ़ लेना काफी है लेकिन बेहतर है पहले दो सलाम को भी अदा करना चाहिए।
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शरई अहकाम:
क्या ऐसे आदमी के साथ शादी करना जायज़ है जो नमाज़ नहीं पड़ता?
हौज़ा/फासिक, आदमी के साथ शादी करना मकरूह हैं और जो आदमी नमाज़ नहीं पड़ता और खुल्लम-खुल्ला फिस्क व फोजूर करने वाला शुमार किया जाए
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शरई अहकाम:
एक बार वूज़ु करने से हम कितने वक्त की नमाज़ पढ़ सकते हैं?
हौज़ा/जब तक वूज़ु बातिल नही होता और यहां तक कुछ दिन भी अगर वूज़ु बाकी रहता हैं, तो आप नमाज़ पढ़ सकते हैं।
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शरई अहकाम:
होठों को दातों से चबाना या उतारना या जिस्म के किसी भी हिस्से से उतारने का क्या हुक्म हैं?
हौज़ा/चमड़े या जिल्द का गिरना या आसानी से चमड़ा या जिल्द उतर जाए या गिरने की हालत में हो तो पाक हैं।