हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मल्की ने कहा कि जो तालिबे इल्म इश्क़ और इख़लास के साथ हौज़ा में दाखिल हो और मेहनत के साथ अपनी राह को जारी रखे, न वह खुद और न ही उसका ख़ानदान कभी पशेमान होगा।
हौज़ा / कभी कभी तालिबे इल्म पढ़ाई के दौरान उलझन, निरुत्साह और इरादों में कमज़ोरी का सामना करते हैं। यह समस्या हमेशा पाठ्यक्रम की कठिनाइयों या सुविधाओं की कमी का नतीजा नहीं होता, बल्कि अक्सर लक्ष्य…