हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा शबेरी ज़ंजानी की किताब "तौज़ीहुल मसाईल" उर्दू भाषा में भी उपलब्ध हुई।
हौज़ा/जब तक वूज़ु बातिल नही होता और यहां तक कुछ दिन भी अगर वूज़ु बाकी रहता हैं, तो आप नमाज़ पढ़ सकते हैं।