तौज़ीहुल मसाइल
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शरई अहकामः
शेयर बाजार में शेयर खरीदना और बेचना
हौज़ा / विभिन्न कंपनियों आदि के शेयर खरीदने और बेचने में कोई समस्या नहीं है, बशर्ते कि प्रत्येक मामले में शरिया कानूनों का पालन किया जाए।
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शरई अहकामः
हरम म्यूजिक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से बनाई गई आवाज़ का हुक्म
हौज़ा / क्रांति के सर्वोच्च नेता ने एक सवाल के जवाब में "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा बनाई गई आवाज़" के बारे में बताया है।
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शरई अहकामः
पुरुषों के लिए अहले-बैत (अ) की मजलिस में गैर-महरम महिलाओं के रोने की आवाज सुनने का क्या हुक्म है?
हौज़ा | जब तक इसमें कोई बुराई या भ्रष्टाचार न हो तब तक इसमें कोई बुराई नहीं है।
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शरई अहकामः
महिलाओं की पार्टी में गाना गाना कैसा लगता है जबकि दूल्हा वहां उनका गाना सुन रहा हो?
हौज़ा | एहतियात के तौर पर गाना गाना अगर सिर्फ औरतें हों तो जायज़ नहीं और अगर मर्द हो और आवाज़ इतनी नाज़ुक और खूबसूरत हो कि रूह को रोमांचित कर दे तो गाना हराम है।
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शरई अहकामः
क्या एक बेटे के लिए अपने माता-पिता का विरोध करते हुए यात्रा पर जाना जायज़ है जबकि वे उसकी यात्रा से खुश नहीं हैं और उसे यात्रा करने से मना कर रहे हैं?
हौज़ा | बच्चों के लिए अपने माता-पिता के विरोध में यात्रा करना जायज़ नहीं है, यदि वे प्रेम के कारण इसे रोकते हैं और यदि उनके विरोध से उन्हें पीड़ा होती है।
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शरई अहकामः
क़ुरआन की तिलावत में मश़ग़ूलियत के समय यदि कोई सलाम करता है तो क्या उसका उत्तर देना वाजिब है?
हौज़ा / सलाम का जवाब देना वाजिब है, भले ही वह पवित्र कुरान की तिलावत मे मशग़ूल हो।
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शरई अहकामः
क्या माता-पिता के लिए किसी विशेष व्यक्ति से विवाह करने के लिए वसीयत करना या यह प्रतिज्ञा करना सही है कि उनके बेटे या बेटी को किसी विशेष पुरुष या महिला से विवाह करना चाहिए?
हौज़ा / पिता ने वसीयत की है कि उसका बेटा एक विशेष नौकरी करेगा या किसी विशेष लड़की या महिला से शादी करेगा। ऐसी वसीयतें शून्य हैं। क्योंकि वे वसीयत के जरिए दूसरों की जिंदगी में दखल नहीं दे सकते और न ही किसी को जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।
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शरई अहकामः
क्या महिलाओं के लिए नमाज़ में पुरुषों से पीछे रहना ज़रूरी है?
हौज़ा | आयात-ए-एज़ाम इमाम, बहजत, साफ़ी और नूरी: नहीं, अगर महिलाएं पुरुषों से आगे रहें तो कोई समस्या नहीं है; लेकिन पुरुषों से पीछे रहना ही बेहतर है।
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शरई अहकामः
क्या अज़ादारी में मन सगे हुसैनम (मैं हुसैन का कुत्ता हूं) जैसे शब्दों का उपयोग करने में कुछ गलत है?
हौज़ा | ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सय्यद अली ख़ामेनई ने अज़ादारी मे मन सगे हुसैन जैसे शब्दो का उपयोग करने के संबंध मे पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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शरई अहकामः
मजलिसो और अज़ादारी के जुलूसों में ढोल (तबल), संझ (झांझ या थाली जैसा वाद्यCymbal) और बिगुल (सिंघा Bugle) के इस्तेमाल क्या हुक्म है?
हौज़ा | ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने मजलिसो और अज़ादारी के जुलूसों में ढोल (तबल), संझ (झांझ या थाली जैसा वाद्यCymbal) और बिगुल (सिंघा Bugle) के इस्तेमाल म, झांझ और बिगुल के इस्तेमाल से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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शरई अहकामः
पत्नी का मोबाइल फोन चेक करने के बारे में मराज ए तक़लीद का जवाब
हौज़ा | अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी का मोबाइल फोन चेक करता है कि उसकी पत्नी ने किन लोगों से संपर्क किया है, उन्हें चेक करता है या पढ़ता है, तो क्या ऐसा करना सही है?
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शरई अहकामः
क्या वुजू करते समय, वुजू के अंगो को देखना जरूरी है ताकि सुनिश्चित हो सकूं कि कोई चीज़ चिपकी हुई तो नहीं है?
हौज़ा | तमाम मराजे: ज़रूरी तो नहीं है, लेकिन यह संभावना हो कि कोई चीज़ चिपकी हो और लोग भी यही संभावना देते हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अपने आपको वसवास में डालें। लेकिन वो लोग जो पेंटिग और कलर का काम करते हैं खुद को चेक करें।
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शरई अहकामः
एहतियात ए वाजिब और एहतियात ए मुस्तहब के बीच अंतर
हौज़ा / जिस समय मुज्तहिद अपने सिद्धांत को एहतियात से शुरू करता है, तो यहां एहतियात ए वाजिब मुराद होती है। और जहां मुज्तिद एक स्पष्ट रूप से फतवा देता है, उदाहरण के लिए।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी का फ़तवाः
क्या मृतको की आत्माओं को बुलाना हराम है?
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मीया नजफ अशरफ के प्रसिद्ध शिया आयतुल्लाहिल उज्मा सय्यद अली सिस्तानी ने मृतको की आत्माओ को बुलाने से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।
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कौन सी बातें ग़ीबत कहीं जाती है
हौज़ा / इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने ग़ीबत के हवाले से सवाल का जवाब दिया,कौन सी बातें ग़ीबत की श्रेणी में आती हैं
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रिज़वी ट्रस्ट नजफ अशरफ इराक कि तरफ से फ़िक़्ही अहकाम और ज्ञान प्रतियोगिता
हौज़ा / रिज़वी ट्रस्ट नजफ अशरफ इराक कि तरफ से आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली हुसैनी सिस्तानी की तौज़ीहुल मसाइल से फ़िक़्ही अहकाम के पाठों की श्रृंखला शुरू की गई है ताकि लोग इंटरनेट का सही उपयोग करके घर पर ज़रूरी मसाइल को सीख सकें।