۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024

दर्दनाक

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  • यह दर्द दर्रनाक है

    यह दर्द दर्रनाक है

    हौज़ा / मख़लूक़ चाहे इंसान हो या जानवर, इंसान मुसलमान हो या ग़ैर मुसलिम अगर ज़रूरतमंद है तो इस्लाम ने उसकी मदद का हुक्म दिया है! किसी से बदगुमानी और किसी की तौहीन किसी भी हाल में सही नहीं है! लेकिन कभी कभी ख़ामोश रहना भी मुनासिब नहीं है!

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