۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024

नमाज़ी ख़ुद को ख़ुदा के सामने हाज़िर

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  • नमाज़ को अल्लाह तआला से मुलाक़ात की जगह समझें

    दरस-ए-अख़लाक़

    नमाज़ को अल्लाह तआला से मुलाक़ात की जगह समझें

    हौज़ा/नमाज़ी ख़ुद को ख़ुदा के सामने हाज़िर समझते हुए नमाज़ अदा करे, नमाज़ी नमाज़ को अल्लाह से मुलाक़ात की जगह के तौर पर देखे और नमाज़ में अपने ख़ुदा से बातें करे और ख़ुद को उसके सामने हाज़िर महसूस करे, नमाज़ जितना मुमकिन हो मस्जिद में और जितना मुमकिन हो जमाअत से पढ़नी चाहिए

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