हौज़ा / शरीअत के सभी वाजिब हुक्म और सभी हराम कामों से दूरी के हुक्म, इंसान की आत्मिक जड़ों को मज़बूत करने और लोक-परलोक के सभी मामलों को सुधारने के लिए हैं, चाहे वह व्यक्तिगत स्तर पर सुधार हो…