हौज़ा /आयतुल्लाह जाफ़र सुब्हानी ने कहा कि अख़लाक की हक़ीक़ी तासीर तभी संभव है जब यह ईश्वरीय सिद्धांतों पर आधारित हो। यदि नैतिकता भौतिक आधारों पर आधारित है, तो यह केवल बाहरी और अस्थायी है।