हौज़ा / शहीद हम से कहते हैं,और अपने पसमांदगान के बारे में भी, जो अभी उनके पास नहीं पहुंचे हैं, ख़ुश और मुतमइन हैं कि उन्हें कोई ख़ौफ़ नहीं हैऔर न ही कोई हुज़्न व मलाल है बस खाली वह चाहते हैं…