۱۳ تیر ۱۴۰۳
|۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵
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Jul 3, 2024
बरकतों के दरवाज़े खोल देती हैं
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इस्लाम में तमाम बुराइयों की नींव हज़रत ज़हरा (स) के अपमान से शुरू हुई
हौज़ा / यदि कोई यह जानना नही चाहता है कि अहले-बैत (अ) पर क्या जुल्म किया गया है, तो वह अहले-बैत (अ) के जुल्म में भागीदार है, क्योंकि सभी की नींव इस्लामिक दुनिया में बुराई की शुरुआत दरवाज़े में आग लगाने और फ़ातिमा ज़हरा का अपमान करने से हुई।
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तौबा, इंसान पर अल्लाह तआला की बरकतों के दरवाज़े खोल देती हैं
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,इस्तेग़फ़ार का मतलब है गुनाहों पर अल्लाह से माफ़ी मांगना और तौबा करना। अगर ये इस्तेग़फ़ार सही तरीक़े से किया जाए तो इंसान पर अल्लाह बरकतों के दरवाज़े खोल देता है।