۳ آذر ۱۴۰۳ |۲۱ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 23, 2024

बेटी अपनी मां को देखती

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  • तरबियत ज़ुबान से नहीं अमल से होनी चाहिए

    तरबियत ज़ुबान से नहीं अमल से होनी चाहिए

    हौज़ा/बेटी अपनी मां को देखती है और उनसे ज़िंदगी के आदाब, शौहर से पेश आने के तरीक़े घर गृहस्थी संभालना और बच्चों की परवरिश का तरीक़ा सीखती है और अपने बाप को देख कर मर्दों के रवैये को पहचानती है, बेटा अपने बाप से ज़िंदगी के उसूलों और तौर तरीक़ों को सीखता है, वह अपने बाप से बीवी और बच्चों से सुलूक करने को सीखता है, और अपनी मां के तौर तरीक़ों से औरत को पहचानता है और अपनी आने वाली ज़िंदगी के लिए उसी को देख कर प्लान बनाता हैं।

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