हौज़ा/बेशक अगर वह न गए होते तो इन पाकीज़ा जिस्मों में अभी जान होती लेकिन हक़ीक़त फ़ना हो जाती, रूहें ख़त्म हो जातीं, ज़मीर मुर्दा हो जाते, पूरी तारीख़ में अक़्ल व तर्क का वजूद ख़त्म हो जाता और…