۱۳ تیر ۱۴۰۳
|۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵
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Jul 3, 2024
मजलूम की मदद करना
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शरई अहकाम:
ज़लिमों की मदद करना और उनके द्वारा दिये गये पद को स्वीकार करना कैसा है?
हौज़ा/ज़लिमों की मदद करना या उनका सहायक और मदद गार बनना, और इसी तरह उनकी ओर से कोई पद स्वीकार करना हाराम है, सिवाय इसके कि जब वह अस्ल काम शरीयत के अनुसार सही और स्वीकार्य हो और इस पद को स्वीकार करना मुसलमानों के लिए फायदेमंद हो।
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:हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई
कुछ अरब देशों ने फ़िलिस्तीनी जनता का समर्थन यूरोपीय देशों जितना भी नहीं किया।
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां, आज भी फिलिस्तीनीयों को मदद की ज़रूरत हैं,वह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनके समर्थन में और उनकी मदद के लिए मुस्लिम देश हाथ बढ़ाएंगे मगर दिन-ब-दिन ना उम्मीद उनके हाथ लग लगती जा रही हैं।
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कुरआन के अनुसार उत्पीड़ितों का समर्थन करना अनिवार्य हैं। हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन शोएब सालेही
हौज़ा/हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन शोएब सालेही ने कहां,इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान एक ऐसा देश है जो कुरआन के आधार पर उत्पीड़ितों की रक्षा और समर्थन करना अपना कर्तव्य मानता हैं।