۱۸ تیر ۱۴۰۳
|۱ محرم ۱۴۴۶
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Jul 8, 2024
मशक्कत और ज़हमत
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शरई अहकाम:
जब किसी पर हज वाजिब हो और वह इसे अंजाम देने में सस्ती और ताखिर से काम ले यहां तक की इसकी इस्तेताअत खत्म हो जाए तो क्या हुक्म है?
हौज़ा / उस सूरत में जिस तरह से भी मुमकिन हो,हज को आदा करना वाजिब हैं, चाहे मशक्कत और ज़हमत बर्दाश्त करना पड़े, अगर हज से पहले मर जाए तो वाजिब है कि उसके बाचे माल से हज कि कज़ा करें। और अगर कोई इसकी कज़ा मरने के बाद बगैर( उजरत) फ्री में इसकी तरफ से हज अंजाम दे तो भी सही हैं।