महदवीयत यानी उम्मीद
-
अमन और सलामती की फ़िज़ा
हौज़ा/हज़रत इमाम मेंहदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर के ज़माने के लिए रास्ता समतल करने की कोशिश कीजिए, वह ज़माना जिसमें किसी भी शक्ल में ज़ुल्म व सितम नहीं है वह ज़माना जिसमें इंसान की सोच और उसकी अक़्ल किसी भी ज़माने की तुलना में ज़्यादा ऐक्टिव और रचनात्मक होगी
-
इमाम ए ज़माना अ.स. की मिसाल एक तरह से हज़रत यूसुफ़ जैसी
हौज़ा/सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,हज़रत ईमाम ज़माना अ.स. कि मिसाल हज़रत यूसुफ़ जैसा बताया गया है कि हज़रत यूसुफ़ के भाई उन्हें देख रहे थे, हज़रत यूसुफ़ उनके सामने थे उनके क़रीब जाते थे लेकिन वो उन्हें पहचान नहीं पाते थे। इमामे ज़माना का वुजूद इस तरह की खुली, स्पष्ट और प्रोत्साहित करने वाली हक़ीक़त हैं।
-
:महदवीयत
इंसान के लिए इससे बड़ी नेमत कोई नहीं है कि इमामे ज़माना अ.स.उसके साथ हैं और उसे देख रहे हैं
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,आज ज़मीन पर इमामे ज़माना का पाकीज़ा वुजूद लोगों के बीच बरकत, ईल्म, नूर, ख़ूबसूरती और सभी अच्छाइयों का सरचश्मा हैं
-
महदवीयत यानी उम्मीद
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,महदवीयत का अक़ीदा, हज़रत इमाम महेंदी अलैहिस्सलाम के वजूद का यक़ीन दिलों में उम्मीद की शमा रौशन करता है। इस अक़ीदे का मानने वाला इंसान कभी मायूसी में मुबतला नहीं होता। क्यों? क्योंकि उसे मालूम है कि एक प्रकाशमान मंज़िल आने वाली है। इसमें कोई संदेह नहीं है। वह ख़ुद को उस मंज़िल तक पहुंचाने की कोशिश में लगा रहता है।