۱ آذر ۱۴۰۳
|۱۹ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 21, 2024
मुनाजेरा
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इमाम बाक़िर और ईसाई पादरी
हौज़ा / बुज़ुर्ग पादरी अपनी शानो शोकत के साथ जलसे मे आ गया और जलसे के बीच मे एक बड़ी कुर्सी पर बैठ गया और चारो तरफ निगाह दौड़ाने लगा तभी उसकी नज़र लोगो के बीच बैठे हुऐ इमाम (अ.स) पर पड़ी कि जिनका नूरानी चेहरा उनकी बड़ी शख्सीयत की गवाही दे रहा था उसी वक्त उस पादरी ने इमाम (अ.स )से पूछा कि हम ईसाईयो मे से हो या मुसलमानो मे से?????
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इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम के सवालों को सुन कर याहिया का मुंह खुला रह गया
हौज़ा / इमाम मौहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम के लिए मामून ने एक मुनाज़ेरा रखा जिसमें आपका मुक़ाबला एक बहुत बड़े आलिम से था। इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम के सवालों को सुन कर याहिया का मुंह खुला रह गया।
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मुनाज़ेरा दो आलिमों के बीच तहज़ीब व अदब के साथ इल्मी अंदाज़ में होता है, कल्बे सिब्तेन नूरी
हौज़ा / मुनाज़ेरा तो आयतुल्लाह शरफुद्दीन और अल अज़हर यूनिवर्सिटी के चांसलर के बीच हुआ था , इल्मी अंदाज़ से तहज़ीब और अदब के साथ , मौलाना फ़िरोज़ साहब को ये शोशा छेड़ने की क्या ज़रूरत थी बेकार का फ़ितना खड़ा हो गया।