मौलाना अली रजा रिजवी
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हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) की शहादत की दो तारीखों का रहस्य
हौज़ा / हुज्जत-उल-इस्लाम अली रज़ा रिज़वी ने मदरसा अल-ज़हरा (स) में एक मजलिस को संबोधित करते हुए हज़रत फातिमा ज़हरा (स) की शहादत की दो अलग-अलग तारीखों के बारे में चर्चा की और कहा कि इतिहास में शहादत के बारे में दो रिवयतें हैं जिनमे 75 और 95 दिनों का उल्लेख किया गया है।
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एक असली मुसलमान धर्म का इस्तेमाल नहीं करता बल्कि उससे इस्तेफ़ादा करता है, अल्लामा अली रज़ा रिज़वी
हौज़ा/सच्चा मुसलमान धर्म का इस्तेमाल नहीं करता, बल्कि धर्म का उपयोग बुराइयों को दूर करने के लिए करता है ताकि वह लोगों को चेतना और जागरूकता के साथ धर्म की ओर आकर्षित कर सके, जो इस दुनिया में और उसके बाद मनुष्य की सभी समस्याओं और भ्रमों को हल करता है।
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धर्म आंतरिक स्वतंत्रता में विश्वास करता है, अल्लामा अली रज़ा रिज़वी
हौज़ा / दीने इस्लाम मे तमाम तर वुस्अत, गहराई और व्यापकता में जीवन का एक पूर्ण संविधान और विनियमन है, जो इबादात और विशिष्ट कार्यों को करने तक ही सीमित नहीं है।
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इस्लाम एक उदार समाज देखना चाहता है, अल्लामा अली रज़ा रिज़वी
हौज़ा / धर्म एक व्यक्ति को बुद्धि और भावनाओं दोनों के मामले में संयम के द्वार पर खड़ा देखना चाहता है ताकि दिल और दिमाग समानता के साथ व्यक्तियों और मनुष्यों की सभा का सूत्रधार बन सके।
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खुदा जितना बड़ा रुतबा देता है उतनी ही बड़ा इम्तिहान लेता है, अल्लामा अली रज़ा रिज़वी
हौज़ा/ खुदा ने कहा इब्राहिम आपको मैंने खलील बनाया जब इसी बाप ने बेटे के गले पर छुरी रखी तू कहां अब मैंने तुम्हें इमाम बना दिया,