۱۱ مهر ۱۴۰۳
|۲۸ ربیعالاول ۱۴۴۶
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Oct 2, 2024
मौलाना ज़मान बाक़री
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ज़रा सोचिए !
मौलाना ज़मान बाक़री की अपने तमाम शहर वासियों से एक अपील
हौज़ा / खुदारा इस वायरस को आसान ना समझे और ना ही कोई सियासी या हुकूमत कि साजिश समझे बल्कि यह एक हकीकत है। जो जहांने आलम में मौत की शक्ल में मढलाई हुई है। ना जाने कब किस को लुकमये अजल बना ले और फिर वह वक्त भी आए के आखरी दीदार को हर एक अज़ीज़ अकराबा रिश्तेदार तड़पता रह जाए। जिसकी हर एक को तमन्ना होती है कि मैं अपने अज़ीज़ का आखरी दीदार कर लूं।