मौलाना मुस्तफ़ा अली खान
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भारत की धार्मिक और सामाजिक हस्तियों ने ईरानी राष्ट्रपति की मौत पर गहरा दुख और अफसोस व्यक्त किया
हौज़ा / भारत की धार्मिक और सामाजिक हस्तियों ने खादिम इमाम रज़ा (अ) और इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रिय राष्ट्रपति हुज्जतुल इस्लाम सैय्यद इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री सहित अन्य अधिकारियों की मौत पर गहरा दुख और अफसोस व्यक्त करते हुए इमाम ज़माना (अ) इस्लामी क्रांति के नेता और ईरानी राष्ट्र की सेवा मे संवेदना व्यक्त की।
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अहलेबैत से रूगर्दानी गुमराही और हलाकत: मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान
हौज़ा / लखनऊ: इमामबाड़ा मीरन साहब मरहूम मुफ़्ती गंज का ख़दीमी अशरा-ए-मजालिस शब में ठीक ९ बजे मुनअख़िद हो रहा है, जिसे मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान अदीबुल हिंदी ख़िताब फ़रमा रहे हैं|
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सच्चे मौत से नहीं घबराते बल्कि तमन्ना करते हैं: मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान
हौज़ा / लखनऊ: इमामबाड़ा मीरन साहब मरहूम मुफ़्ती गंज का ख़दीमी अशरा-ए-मजालिस शब में ठीक ९ बजे मुनअख़िद हो रहा है, जिसे मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान अदीबुल हिंदी ख़िताब फ़रमा रहे हैं|
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हज़रत अली अकबर सूरत ओ सीरत और किरदार ओ गुफ़्तार में रसूल-ए-अकरम की शबीह थे: मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान
हौज़ा / लखनऊ: इमामबाड़ा मीरन साहब मरहूम मुफ़्ती गंज का ख़दीमी अशरा-ए-मजालिस शब में ठीक ९ बजे मुनअख़िद हो रहा है, जिसे मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान अदीबुल हिंदी ख़िताब फ़रमा रहे हैं|
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क़ुरान की बेहुरमती ना क़ाबिल-ए-माफ़ी जुर्म: मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान
हौज़ा / लखनऊ: इमामबाड़ा मीरन साहब मरहूम मुफ़्ती गंज का ख़दीमी अशरा-ए-मजालिस शब में ठीक ९ बजे मुनअख़िद हो रहा है, जिसे मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान अदीबुल हिंदी ख़िताब फ़रमा रहे हैं|
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करबला में फ़क़ाहत को जेला मिली: मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान
हौज़ा / इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने बचपन के दोस्त हज़रत हबीब बिन मज़ाहिर अलैहिस्सलाम को ख़त भेज कर करबला बुलाया, हज़रत हबीब अलैहिस्सलाम एक आलिम ओ फ़क़ीह थे, इमाम आली मक़ाम ने उन्हें दावत दे कर रहती दुनिया तक फ़क़ीह और फ़क़ाहत की शान को ज़ाहिर कर दिया।
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मजलिस-ए-अज़ा का इनिक़ाद अम्र-ए-अहलेबैत को ज़िंदा करना है: मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान
हौज़ा / इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की एक रिवायत को नख़्ल करते हुए बयान फ़रमाया के इमाम अलैहिस्सलाम ने अपने सहाबी दाऊद बिन सिरहान से फ़रमाया: ऐ दाऊद! हमारे शियों को हमारा सलाम कहना और उनसे कहना के हमारे अम्र को ज़िंदा रखें, जान लो के उनमें से दो लोग जब हमारे अम्र को ज़िंदा रखने के लिये जमा होंगे तो उनमें तीसरा ऐसा फ़रिश्ता शामिल हो जायेगा जो उनके लिये इस्तेग़फ़ार करेगा।